Jalebi ko Sanskrit me Kya Kehte hai: त्योहारों का समय आ गया है और मीठे के बिना इनको अधूरा ही माना जाता है. बाजारों में रौनक छाने लगी है और सभी जगह एक अलग ही त्यौहारी धूम मची है. नवरात्रि की रौनक के साथ ही आता है दशहरा और फिर शुरू होती है दीपावली की तैयारी. बता दें कि मौका या त्योहार चाहे जो भी हो मीठे के बिना अधूरा ही है. ऐसे में आज हम जिस मीठे की बात कर रहे हैं वो है जलेबी. तेड़ी-मड़ी कुरकुरी चाशनी में डूबी नारंगी रंग की जलेबी को देखते ही मुंह में पानी आ जाता है. शायद इस वक्त इस आर्टिकल को पढ़ते हुए आपका मन भी जलेबी खाने का करे और आप फोन उठाकर इसको ऑर्डर भी करने की सोच रहे हों. या फिर दुकान पर जाकर इसे गर्मा-गर्म खाने का इरादा बना रहे हों.
बता दें कि जलेबी को लेकर के कई पौराणिक कथाएं भी काफी प्रचलित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम को शशकुली नाम की मिठाई बहुत पसंद थी, जिसे अब जलेबी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने रावण पर जीत का जश्न मनाने के लिए जलेबी खाई थी.
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वहीं एक पौराणिक कथा के मुताबिक हनुमान जी भगवान राम के लिए बेसन से बने फाफड़े और गर्म जलेबी बनाते थे. इन कथाओं की वजह से ही दशहरे के पर्व में इसका काफी महत्व माना जाता है. दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा तभी से चली आ रही है. दशहरे के दिन मेले पर आपको जलेबी का स्टॉल जरूर मिल जाएगा.
लेकिन आपको पता है कि आपकी इस पसंदीदा जलेबी को संस्कृत में क्या कहा जाता है? शायद आप सोच में पड़ गए हों. लेकिन थोड़ा सोचिए और दिमाग पर जोर डालिए कई लोगों को शायद इसका जवाब पता हो. वहीं कई लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने शायद इस बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा. तो हम आपको बता दें कि संस्कृत में जलेबी को 'सुधा कुंडलिका' के नाम से जाना जाता है.
तो फिर अब देर किस बात की है घर पर जलेबी मंगाइए और सबको खिलाने से पहले उनसे ये सवाल जरूर पूछिए और जवाब सही है तो जलेबी उनकी गलत जवाब पर आप उनको चिढ़ाते हुए इसको खाइए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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