Healthy Foods That Are Bad for You: आज के समय में हेल्दी डाइट का मतलब लोगों के लिए बस इतना रह गया है कि पैकेट पर ब्राउन, लो-फैट, शुगर-फ्री या नेचुरल लिखा हो. यही वजह है कि लोग ब्राउन ब्रेड, फ्लेवर्ड दही, पैक्ड जूस, ओट्स बिस्किट और डाइट स्नैक्स को आंख बंद करके अपनी रोजमर्रा की डाइट में शामिल कर रहे हैं. लेकिन, एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि यही आदतें धीरे-धीरे शरीर के लिए स्लो जहर साबित हो सकती हैं. बहुत से लोगों की सुबह की शुरुआत ब्रेड और फ्लेवर्ड चीजों को खाने से होती है. समय की कमी और दौड़ती-भागती जिंदगी में जो चीजें कम समय में जल्दी बन जाय ज्यादातर लोग वही चुनते हैं. लेकिन, ये आदत कई बीमारियों को न्यौता दे रही हैं. आइए जानते हैं कैसे.
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NDTV से खास बातचीत में क्या बोले एक्सपर्ट?
NDTV से खास बातचीत में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी ने बताया कि आज सबसे बड़ा खतरा उन फूड्स से है जो दिखने में हेल्दी लगते हैं, लेकिन असल में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की कैटेगरी में आते हैं.
डॉ. समीर भाटी के मुताबिक, "ब्राउन ब्रेड, फ्लेवर्ड योगर्ट, पैक्ड फ्रूट जूस और डाइट स्नैक्स जैसे कई प्रोडक्ट्स में छिपी शुगर, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, प्रिजर्वेटिव और आर्टिफिशियल फ्लेवर होते हैं. ये चीजें तुरंत नुकसान नहीं दिखातीं, लेकिन लंबे समय में डायबिटीज, मोटापा, फैटी लिवर और हार्ट डिज़ीज का खतरा कई गुना बढ़ा देती हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि आज 30-40 साल की उम्र में ही लोगों में प्री-डायबिटीज और हाई बीपी बढ़ने की एक बड़ी वजह यही गलत तरीके से चुनी गई हेल्दी डाइट है.
रिसर्च भी देती है चेतावनी
डॉ. भाटी की इस बात को वैज्ञानिक रिसर्च भी पूरी तरह सपोर्ट करती है. ब्रिटिश मेडकल जर्नल (British Medical Journal) (BMJ) में प्रकाशित एक बड़ी स्टडी के मुताबिक, जो लोग रोजाना ज्यादा मात्रा में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाते हैं, उनमें टाइप-2 डायबिटीज, हार्ट अटैक, मोटापा और समय से पहले मौत
का जोखिम साफ तौर पर बढ़ जाता है.
वहीं डब्ल्यूएचओ (WHO) भी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को गैर-संचारी बीमारियों (NCDs) का बड़ा कारण मानता है. WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई शुगर, हाई सॉल्ट और प्रोसेस्ड फूड का लगातार सेवन हार्ट, किडनी और लिवर पर गंभीर असर डालता है.
सबसे खतरनाक बात क्या है?
इन फूड्स की सबसे खतरनाक बात यह है कि ये धीरे असर दिखाते हैं. व्यक्ति को लगता है कि मैं हेल्दी खा रहा हूं, लेकिन अंदर ही अंदर शरीर का मेटाबॉलिज़्म बिगड़ता जाता है. नतीजा यह होता है कि कुछ सालों बाद दवाइयों के बिना काम नहीं चलता.
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एक्सपर्ट की सलाह
- डॉ. समीर भाटी सलाह देते हैं कि हेल्दी रहने के लिए पैकेट से ज्यादा ताजा और घर का खाना चुनें.
- लेबल पर लिखे शब्दों से नहीं, सामग्री की लिस्ट से फैसला करें.
- जितना कम प्रोसेस्ड, उतना बेहतर.
याद रखें, जो चीज बहुत ज्यादा चमकदार पैकिंग में मिल रही है, वह जरूरी नहीं कि शरीर के लिए भी उतनी ही फायदेमंद हो.
(यह लेख पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी से बातचीत पर आधारित है)
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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