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इस दिन रखा जाएगा हरतालिका तीज का व्रत, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और भगवान शिव माता पार्वती को लगाए जाने वाले भोग

Hartalika Teej 2024: सनातन धर्म में हरतालिका तीज व्रत का काफी महत्व बताया गया है. इस व्रत में सभी व्रती निर्जला उपवास रख भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं.

इस दिन रखा जाएगा हरतालिका तीज का व्रत, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और भगवान शिव माता पार्वती को लगाए जाने वाले भोग
Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज व्रत कब रखा जाएगा.

Hartalika Teej 2024: हिन्दू धर्म में तीज तिथि का काफी महत्व है और सालभर में तीन बड़े तीज व्रत आते हैं. फिलहाल, भाद्रपद मास चल रहा है और शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि, इसमें फलाहार नहीं किया जाता और यह निर्जला व्रत होता है. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद रात्रि जागरण भी किया जाता है. तो चलिए जानते हैं इस बार कब रखा जाएगा हरतालिका तीज का व्रत क्या है मुहूर्त, पूजा विधि और भोग रेसिपी. 

हरतालिका तीज की पूजा विधि और भोग- (Hartalika Teej Puja Vidhi and Bhog)

हरतालिका तीज भोग रेसिपीज- (Hartalika Teej Bhog Recipes) 

1. हलवे का भोग-

पूजा के बाद शिव परिवार को सूजी के हलवे का भोग लगाएं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन हलवे का भोग लगाने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा बनी रहती है.

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2.  खीर का भोग-

माना जाता है कि भोलेनाथ को खीर अति प्रिय है. इस दिन खीर का भोग लगाकर महादेव को प्रसन् कर सकते हैं. 

हरतालिका तीज तिथि और मुहूर्त-(Hartalika Teej Tithi And Muhurat)

इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा. इस तिथि की शुरुआत 5 सितंबर की दोपहर में 12 बजकर 22 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 सितंबर की सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर होगा. पंडित जी के अनुसार, उदया तिथि 6 सितंबर को होने के कारण व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा. जबकि, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 01 मिनट से लेकर 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. 

हरतालिका तीज पूजन विधि- (Hartalika Teej Pujan Vidhi) 

सुबह ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं. अब प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें पूजा के अंत में भी पहले गणपति देव और फिर शिव शक्ति की आरती करें. 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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