Navratri Maa Brahmacharini Puja 2020: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर से बनी इस खास डिश का लगाएं भोग, कथा और विधि यहां जानें

Navratri Maa Brahmacharini Puja 2020: नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए श्वेत वस्त्र में देवी विराजमान हैं.

Navratri Maa Brahmacharini Puja 2020: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर से बनी इस खास डिश का लगाएं भोग, कथा और विधि यहां जानें

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य रूप में होता है.

खास बातें

  • मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग चढ़ाया जाता है.
  • शरद नवरात्र हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं.
  • कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा.

Navratri Maa Brahmacharini Puja 2020: आज है नवरात्र का दूसरा दिन, इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माना जाता है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि करती है और शत्रुओं का नाश करती है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य रूप में होता है. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए श्वेत वस्त्र में देवी विराजमान होती हैं. शरद नवरात्र  (Sharad Navratri) हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को नौ अलग-अलग रूपों से पूजा जाता है. तो चलिए जानते मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, कथा और भोग के बारे में. 

मां ब्रह्मचारिणी भोगः

नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी  को शक्कर का भोग चढ़ाया जाता है. माना जाता है, कि ब्रह्मचारिणी को तप, त्याग और वैराग्य की देवी के रूप में पूजा जाता है. जो भक्त मां के इस रुप की पूजा करते हैं, उनपर मां की अपार महिमा बनी रहती है. रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधिः

मां ब्रह्मचारणी की पूजा में पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन का प्रयोग किया जाता है. पूजन आरंभ करने से पूर्व मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही और शर्करा से स्नान कराया जाता है. इसके उपरांत मां ब्रह्मचारणी को प्रसाद अर्पित करें. इस क्रिया को पूरा करने के बाद आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करनी चाहिए. इसके बाद ही स्थापित कलश, नवग्रह, नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए. कहा जाता है कि मां की पूजा करने वाले भक्त, जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं. 

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मां ब्रह्मचारणी की पूजा में पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन का प्रयोग किया जाता है.

मां ब्रह्मचारिणी कथाः

पौराणिक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था. नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें. कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं. कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया. उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है. आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी. भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे. और इस तरह से भगवान शिव उनको पति के रूप में मिले.

मां ब्रह्मचारिणी मंत्रः

ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.

सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.   

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