नई दिल्ली:
सब टीवी के सीरियल चिड़ियाघर में मेंढ़क प्रसाद की भूमिका निभाने वाले मनीष विश्वकर्मा फिलहाल कोमा है और डॉक्टर उन्हें बचाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रील लाइफ में स्लो कैरेक्टर करते करते वह कभी-कभी रीयल लाइफ में भी स्लो हो जाते हैं।
मनीष ने बताया कि चिड़ियाघर में मेंढक का किरदार निभाते हुए कभी-कभी रीयल लाइफ में भी स्लो हो जाता हूं। एकबार शूटिंग से घर वापस आया, तो मेरी मां ने बाजार से नींबू लाने के लिए भेजा। मैं जाकर कोल्ड ड्रिंक नींबूज ले आया।' मनीष का कहना था कि सीरियल की शूटिंग में कैरेक्टर में डूबकर काम करना पड़ता है और जब शूटिंग रोज हो तो काफी समय कैरेक्टर में रहना होता है जिसका असर कभी कभी आपकी निजी जिंदगी पर भी दिखने लगता है।' हालांकि, मनीष का दावा है कि वह रीयल लाइफ में काफी फास्ट हैं। नई टेक्नोलॉजी से हमेशा अपडेटेड रहता हैं।
मनीष कहते हैं कि अगर एक्टिंग में ज्यादा कामयाब नहीं रहता तो मैं फार्मा बिजनेस में हाथ आजमाता। उनका कहना है कि बारहवीं के बाद बी-फार्मा करने का इरादा है। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार में 6 लोग डॉक्टर हैं।
अपने एक्टिंग जीवन की शुरुआत के बार में बताते हुए मनीष ने बताया कि जब वह तीसरी क्लास में था, तभी से उन्हें एक्टिंग का शौक लगा। यह बात उन्होंने अपने पिताजी से कही। उनके पापा ने काफी उनका साथ दिया और कई जगह ऑडिशन में लेकर भी गए। कई बार फाइनल ऑडिशन में पहुंचकर छोटी-छोटी गलती की वजह से बाहर कर दिया गया। और आखिरकार मौका मिल गया। कुछ छोटी फिल्मों के बाद सीरियल लापतागंज और फिर चिड़ियाघर में काम करने का मौका मिला।
कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि रील लाइफ में स्लो कैरेक्टर करते करते वह कभी-कभी रीयल लाइफ में भी स्लो हो जाते हैं।
मनीष ने बताया कि चिड़ियाघर में मेंढक का किरदार निभाते हुए कभी-कभी रीयल लाइफ में भी स्लो हो जाता हूं। एकबार शूटिंग से घर वापस आया, तो मेरी मां ने बाजार से नींबू लाने के लिए भेजा। मैं जाकर कोल्ड ड्रिंक नींबूज ले आया।' मनीष का कहना था कि सीरियल की शूटिंग में कैरेक्टर में डूबकर काम करना पड़ता है और जब शूटिंग रोज हो तो काफी समय कैरेक्टर में रहना होता है जिसका असर कभी कभी आपकी निजी जिंदगी पर भी दिखने लगता है।' हालांकि, मनीष का दावा है कि वह रीयल लाइफ में काफी फास्ट हैं। नई टेक्नोलॉजी से हमेशा अपडेटेड रहता हैं।
मनीष कहते हैं कि अगर एक्टिंग में ज्यादा कामयाब नहीं रहता तो मैं फार्मा बिजनेस में हाथ आजमाता। उनका कहना है कि बारहवीं के बाद बी-फार्मा करने का इरादा है। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार में 6 लोग डॉक्टर हैं।
अपने एक्टिंग जीवन की शुरुआत के बार में बताते हुए मनीष ने बताया कि जब वह तीसरी क्लास में था, तभी से उन्हें एक्टिंग का शौक लगा। यह बात उन्होंने अपने पिताजी से कही। उनके पापा ने काफी उनका साथ दिया और कई जगह ऑडिशन में लेकर भी गए। कई बार फाइनल ऑडिशन में पहुंचकर छोटी-छोटी गलती की वजह से बाहर कर दिया गया। और आखिरकार मौका मिल गया। कुछ छोटी फिल्मों के बाद सीरियल लापतागंज और फिर चिड़ियाघर में काम करने का मौका मिला।
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