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This Article is From Sep 30, 2011

रिव्यू : साहब, बीवी और गैंगस्टर को 4 स्टार

Mumbai: फिल्म 'साहब बीवी और गैंगस्टर' आज के दौर में सेट है जब राजा की रियासतें तो छिन चुकी हैं लेकिन उनके शाही शौक और रुतबा बरकरार है। ऐसे ही एक हैं, राजा आदित्य प्रताप यानी जिमी शेरगिल जिनकी जासूसी के लिए दुश्मन तेज़-तर्रार बेरोजगार बबलू उर्फ रणदीप हुड्डा को ड्राइवर बनाकर भेजते हैं लेकिन जल्द ही बबलू राजा की छोटी रानी यानी माही गिल के रोमांस में पढ़ जाता है। अकेलेपन और पति की बेवफाई की शिकार छोटी रानी काफी बोल्ड और खुली तबियत की है लेकिन टर्निंग प्वाइंट ये है कि कैसे एक गुलाम यानी गैंगस्टर बन चुका बबलू साहब के दबदबे और बीवी के प्यार का इस्तेमाल करके बाजी पलटने लगता है। 'साहब बीवी और गैंगस्टर' 1962 में रिलीज़ गुरुदत्त, मीना कुमारी और वहीदा रहमान की फिल्म 'साहब, बीवी और गुलाम' की तर्ज पर है। लेकिन जहां पुरानी फिल्म में गुरुदत्त और मीना कुमारी के बीच इमोशनल लव था वहीं नई फिल्म में सारे रिश्ते तन और धन की बुनियाद पर टिके हैं। यूपी के माफिया गैंगवार राजनीति के गलियारों और छोटी रानी के बैडरूम से गुजराती डायरेक्टर तिगमांशू धूलिया की 'साहब बीवी और गैंगस्टर' बेहतरीन बैकग्राऊंड स्कोर और कुछ शानदार डायलॉग्स के साथ आगे बढ़ती है। वॉयलेंस के कई इम्पेक्टफुल सीन्स हैं। जिमी शेरगिल सचमुच रॉयल फैमिली के लगे। बबलू को उकसाने वाली रानी के रोल में माही गिल की बोल्ड इमेज काम कर गयी। यहां तक कि रणदीप हुड्डा और श्रेया नारायण भी इंप्रेसिव हैं। मुझे 'साहब, बीवी और गैंगस्टर' में दो कमियां दिखीं। पहला म्यूजिक बेहतर किया जा सकता था। दूसरा इतने खून-खराबे के बीच पुलिस का रोल क्या है लेकिन 'साहब, बीवी और गैंगस्टर का बेहतरीन स्क्रीनप्ले आपको इतना इंगेज रखेगा कि ये सारी कमियां छोड़कर आगे बढ़ जाएंगे। कुछ बोल्ड सीन्स हैं इसीलिए परिवार के साथ संभलकर जाएं लेकिन ये फिल्म जरूर देखें जिसके लिए मेरी रेटिंग है 4 स्टार।

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