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This Article is From Aug 07, 2015

आजादी से पहले की धर्मनिरपेक्षता को बखूबी दर्शाती है 'जांनिसार'

आजादी से पहले की धर्मनिरपेक्षता को बखूबी दर्शाती है 'जांनिसार'
जांनिसार का दृश्य
इस हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्मों में एक फिल्म है, 'जांनिसार', जिसका निर्देशन किया है, 'गमन' और 'उमराव जान' के निर्देशक मुजफ्फर अली ने, फिल्म में मुख्य किरदार निभाए हैं, इमरान अब्बास, पर्निया कुरैशी, दलीप ताहिल, बीना काक और खुद मुज़फ़्फ़र अली ने।

'जांनिसार' एक पीरियड फिल्म है, जिसमें इश्क है, अंग्रेज़ों के खिलाफ़ क्रांति है, गंगा-जमुनी तहजीब की बात है और रक्कासाओं की देशभक्ति है। फिल्म की कहानी में एक रियासत के उत्तराधिकारी अमीर यानी इमरान को बचपन में विलायत पढ़ने भेज दिया जाता है ताकि देश में चल रही क्रांति की आवाज़ों से वह दूर रह सके और अंग्रेज़ इस लालच में उनकी तालीम का भार उठाते हैं ताकि वह उनके दिमाग में अपनी सोच भर सकें, पर हिन्दुस्तान लौटने के बाद अमीर की मुलाकात होती है नूर यानी पर्निया से और कहानी कुछ और मोड़ ले लती है।

ये क्या मोड़ हैं, उसके लिए तो आपको फिल्म ही देखनी पड़ेगी, पर मेरा फिल्म के बारे में मेरा ख्याल क्या है आपको ये बता देता हूं। पहले बात कर लेते हैं खामियों की। पहली बात तो ये कि फिल्म के स्क्रीन प्ले में मुझे झटके नजर आते हैं और फिल्म की टेकिंग थोड़ी कमज़ोर है। मतलब फिल्म का कैमरा कब कहां होना चाहिए, किस तरह से फिल्माना चाहिए उस पर ध्यान देने की जरूरत थी, थोड़ा मुझे फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी में कमी लगती है, मसलन जहां आपको ज्यादा लोग चाहिए वहां चंद लोगों की भीड़ से काम चलाया गया जो भव्यता होनी चाहिए इस तरह की फिल्म में वह नहीं दिखती।

कहानी के कुछ पहलू साफ नहीं होते, मसलन नूर एक तवायफ हैं, पर उनका परिचय फिल्म में लड़ने की ट्रेनिंग लेते हुए दिया गया। ऐसा क्यूं है, ये साफ नहीं होता। इसके अलावा मुझे लगता है कि बहुत से दर्शक शायद गंगा-जमुनी तहजीब और कुछ बातें जो फिल्म में कही गई हैं उनसे कनेक्ट न कर पाएं। अब बात खूबियों की तो पहली बात, मुझे कहानी अच्छी लगी, कुछ डॉयलाग्स भी मुझे अच्छे लगे, फिल्म का संगीत कमाल का है और मुझे बोल और धुन दोनों बहुत अच्छे लगे।

मीरा अली की कॉस्टयूम डिज़ाइनिंग कमाल की है, पर्निया एक बहतरीन डांसर हैं पर अभिनय पर अभी काम करने की ज़रूरत है। इमरान अपने किरदार में ठीक हैं और सबसे बड़ी बात फिल्म में जहां आजादी से पहले का स्थिती दर्शायी गई है, वहीं हिन्दुस्तान की साझा संस्कृति और धर्मनिरपेक्षता का संदेश बड़ी खूबसूरती से दिया गया। तो जाइये फिल्म देखिये, लेकिन याद रहे कि यह एक ठहराव वाली फिल्म है और संजीदा विषय है, तो इसी सोच के साथ फिल्म देखने जाएं। तो जाइए और फिल्म देखिए और खुद फ़ैसला लीजिए, मेरी तरफ से 'जांनिसार' को 2.5 स्टार।

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