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This Article is From May 17, 2013

औरंगजेब : अच्छी कहानी, बेहतरीन अभिनय

औरंगजेब : अच्छी कहानी, बेहतरीन अभिनय
मुंबई: 'औरंगज़ेब’ फिल्म की कहानी घूमती है, गुड़गांव के लैंड−माफिया और पुलिस के इर्द-गिर्द। इस कहानी में दो परिवारों की जंग है, जो जमीनों की खरीद-फरोख्त में अपना साम्राज्य कायम करने की कोशिश करते हैं। एक परिवार है, पुलिस ऑफिसर विकांत यानी ऋषि कपूर का, जो खुद एक पुलिस ऑफिसर हैं। उनके परिवार में सभी पुलिस विभाग के अलग−अलग पदों पर काम करते हैं।

दूसरा परिवार है, यशवर्धन यानी जैकी श्रॉफ का, जो लैंड-माफिया है। फिल्म में डबल रोल में हैं, अर्जुन कपूर, जो यशवर्धन के बेटे बने हैं। इसके आगे की कहानी के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी, क्योंकि कहानी बड़ी पेचीदा है। इसमें षड्यंत्र और खून-खराब बहुत कुछ है।

फिल्म में अमृता सिंह, साशा आगा, सिकंदर खेर, पृथ्वीराज और दीप्ती नवल भी है। सबसे पहले बात अर्जुन कपूर की, जिन्होंने अपने किरदार का भार ठीक−ठाक तरीके से संभाला है, पर आगे के लिए उन्हें खबरदार रहना चाहिए, डर है कहीं वह टाइपकास्ट न हो जाएं।

डायरेक्टर अतुल सबरवाल एक पेचीदा कहानी बनाने के साथ-साथ अगर थोड़ा अर्जुन के किरदारों को और तराशते तो अच्छा होता। ऐसा ही कुछ हुआ जैकी श्रॉफ के साथ, जिनका किरदार साफ-समझ नहीं आया। वहीं ऋषि कपूर एक बार फिर बाजी मार गए। पृथ्वी अपने किरदार में एकदम फिट हैं और साशा, जो अर्जुन की रोमांटिक पेयर है, उनके पास करने को कुछ खास नहीं नजर आया।

वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि डायरेक्टर अतुल ने 70 के दशक की फिल्मों का फार्मूला नए ढंग से पेश किया है, जिसके चलते 'औरंगज़ेब' कहीं आपको 'त्रिशूल' लगती है तो कहीं 'डॉन', पर स्क्रीन प्ले आपको बांधे रखता है।

बैकग्राउंड स्कोर कहानी को संभालता है। फिल्म की सबसे बड़ी खामी है कि यह मुझे भावुक नहीं कर पाई। मैंने इसे एक थ्रिलर फिल्म की तरह देखा। फिर भी मैं कहूंगा कि आप फिल्म से जुड़े रहेंगे। मेरी तरफ से फिल्म को 3 स्टार्स।

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