प्रियंका चोपड़ा
न्यूयॉर्क:
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा इन दिनों काफी मसरूफ हैं, उनका एक पैर अमेरिका में तो दूसरा भारत में रहता है। अमेरिकी टीवी सीरिज़ क्वांटिको में वह एक एफबीआई एजेंट के किरदार में नज़र आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ वह 'बाजीराव मस्तानी' में काशी बाई के किरदार में दिखाई देंगी। यही नहीं टाइम्स पत्रिका ने प्रियंका को दुनिया के शीर्ष सेक्सी 25 लोगों की लिस्ट में शामिल किया है। एनडीटीवी से बातचीत में प्रियंका ने साझा की 'बाजीराव मस्तानी' से जुड़े विवाद और देश के मौजूदा हाल पर अपनी राय।
भारत में असहिष्णुता के मुद्दे के बारे में प्रियंका ने कहा 'यह एक ग्लोबल मसला है। भारत को ही नहीं, पेरिस को देखिये, लेबनान, मुंबई, लोग एक दुसरे को कहने लगे हैं की हम तुम्हें इस लिए नहीं पसंद करते हैं की तुम्हारा धर्म अलग है। दुनिया को क्या हो रहा है मेरी समझ से बाहर है। हम सब एक जैसे हैं, दो आंखें एक नाक, हम यह क्यों नहीं सोचते की तुम कितने मेरे जैसे हो ना की कितने नहीं हो? यह नजरिया बदलना होगा।'
'जब किताब आई तब क्यों नहीं बोले...'
वहीं 18 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' पर शिवसेना के विवाद पर प्रियंका कहती हैं 'हम एक लोकतंत्र में रहते हैं और यह एक फिल्म है जो इतिहास से प्रेरित है ना की इतिहास पर है। अगर किसी के दिल को ठेस पहुंची है तो जब सालों पहले बाजी राव मस्तानी पर किताब आई थी तब आवाज़ क्यों नहीं उठायी गई? बाजी राव वीर थे लेकिन उनकी निजी ज़िन्दगी भी थी। वह क्या खाते रहे होंगे, कैसे रहते होंगे, यह सब निर्देशक का नज़रिया है जो इतिहास की किताब में आपको नहीं मिलेगा।'
क्वांटिको में मुख्य भूमिका निभाने के बारे में प्रियंका ने कहा कि 'क्वांटिको के लिए राज़ी होना मेरे लिए आसान नहीं था। मेरा अहम रोल है, मुझे डर था की क्या लोग इंडियन लड़की को इस पार्ट में पसंद करेंगे ? क्या मैं सही कर रही हूं.. ढेर सवाल मन में आते थे लेकिन अच्छा हुआ मैंने दिल की आवाज़ सुनी। अब तो एयरपोर्ट पर भी सेक्योरिटी ऑफिसर पूछते हैं की क्वांटिको में टेररिस्ट कौन है !!'
भारत में असहिष्णुता के मुद्दे के बारे में प्रियंका ने कहा 'यह एक ग्लोबल मसला है। भारत को ही नहीं, पेरिस को देखिये, लेबनान, मुंबई, लोग एक दुसरे को कहने लगे हैं की हम तुम्हें इस लिए नहीं पसंद करते हैं की तुम्हारा धर्म अलग है। दुनिया को क्या हो रहा है मेरी समझ से बाहर है। हम सब एक जैसे हैं, दो आंखें एक नाक, हम यह क्यों नहीं सोचते की तुम कितने मेरे जैसे हो ना की कितने नहीं हो? यह नजरिया बदलना होगा।'
'जब किताब आई तब क्यों नहीं बोले...'
वहीं 18 दिसंबर को रिलीज़ होने वाली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' पर शिवसेना के विवाद पर प्रियंका कहती हैं 'हम एक लोकतंत्र में रहते हैं और यह एक फिल्म है जो इतिहास से प्रेरित है ना की इतिहास पर है। अगर किसी के दिल को ठेस पहुंची है तो जब सालों पहले बाजी राव मस्तानी पर किताब आई थी तब आवाज़ क्यों नहीं उठायी गई? बाजी राव वीर थे लेकिन उनकी निजी ज़िन्दगी भी थी। वह क्या खाते रहे होंगे, कैसे रहते होंगे, यह सब निर्देशक का नज़रिया है जो इतिहास की किताब में आपको नहीं मिलेगा।'
क्वांटिको में मुख्य भूमिका निभाने के बारे में प्रियंका ने कहा कि 'क्वांटिको के लिए राज़ी होना मेरे लिए आसान नहीं था। मेरा अहम रोल है, मुझे डर था की क्या लोग इंडियन लड़की को इस पार्ट में पसंद करेंगे ? क्या मैं सही कर रही हूं.. ढेर सवाल मन में आते थे लेकिन अच्छा हुआ मैंने दिल की आवाज़ सुनी। अब तो एयरपोर्ट पर भी सेक्योरिटी ऑफिसर पूछते हैं की क्वांटिको में टेररिस्ट कौन है !!'
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