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This Article is From Mar 30, 2017

'पूर्णा: करेज हैज़ नो लिमिट' फिल्‍म रिव्‍यू: हिम्‍मत की सादगी से भरी सच्‍ची कहानी है 'पूर्णा'

'पूर्णा: करेज हैज़ नो लिमिट' फिल्‍म रिव्‍यू: हिम्‍मत की सादगी से भरी सच्‍ची कहानी है 'पूर्णा'
नई दिल्‍ली: इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्‍म 'पूर्णा: करेज हैज़ नो लिमिट' एक सत्य घटना पर आधारित फिल्‍म है. इस कहानी में तेलंगना की 13 साल की एक आदिवासी लड़की पूर्णा सबसे कम उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का रिकॉर्ड बनाती है. इस फिल्‍म के निर्देशक हैं राहुल बोस जिन्होंने फिल्म में एक अहम किरदार भी निभाया है. इस फिल्‍म में अदिति इनामदार, हीबा शाह जो की नसीरुद्दीन शाह की बेटी हैं, धृतिमन चैटर्जी, एस मारिया और आरिफ जकरिया भी इस फिल्‍म में अहम भूमिका में नजर आए हैं. 'पूर्णा' एक छोटे बजट की फिल्‍म है पर इसका संदेश बड़ा है, और बड़ी बात ये है की फिल्‍म के व्यवसाय की चिंता ना करते हुए राहुल बोस ने एक प्रेरित करने वाली सीधी सादी कहानी कही है. हर फिल्‍म में कुछ खामियां और खूबियां होती हैं तो 'पूर्णा' में भी कुछ खामियां और खूबियां हैं.

'पूर्णा' एक ऐसी लड़की है जिस से ज्‍यादातर लोग अनजान हैं इसलिए उसके माउंट एवरेस्ट पे चढ़ने से पहले की कहानी आपको शायद रोचक ना लगे और आप शायद अपना धैर्य खो दें. इस फिल्‍म में निर्देशक ने कहानी को ज्‍यादा नाटकीय करने की कोशिश नहीं की है जो की मेरे नजरिए से अच्छा है पर दर्शकों को ये थोड़ा फीका लग सकता है. ये रही बात खामियों की और मेरी नजर में शायद यही इस फिल्‍म की खामी कही जा सकती है.

खूबियों की बात करें तो वह है इसका विषय और इसकी कहानी जो की प्रेरणा दायक है. इस फिल्‍म की सबसे अच्छी बात ये है की निर्देशक और लेखक ने बिना लाग लपेट के बड़ी सादगी से अपनी बात कही है जो इस तरह के किरदार के साथ मेल खाती है. साथ ही इसके मर्म को भी दर्शाती है. ये फिल्‍म गरीबों के लिए खोले गए विद्यालयों में हो रही धांधली पर भी सवाल उठाती है. बतौर निर्देशक तो राहुल ने अच्छा काम किया ही है पर उससे अच्छा काम किया है उन्होंने बतौर अभिनेता और साथ ही अदिति जिन्होंने पूर्णा का किरदार निभाया है, वो भी दमदार अभिनय का परिचय देती हैं और इनके अलावा छोटे किरदारों में जो अभिनेता हैं उन्होंने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

'पूर्णा: करेज हैज़ नो लिमिट' एक ईमानदार फिल्‍म है और दर्शकों को इसे जरूर देखना चाहिए. हर फिल्‍म मनोरंजन के लिए नहीं होती. कुछ फिल्में प्रेरित करने के लिए भी होती हैं. तो जाइए अपने बच्चों को इस हफ़्ते दिखाइए पूर्णा की कहानी क्योंकि इस फिल्म को मेरी ओर से हैं 3.5 स्टार्स.

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