नई दिल्ली:
फिल्म '1920' में नजर आ चुकी अदा शर्मा को अपनी आने वाली फिल्म 'कमांडो 2' से बहुत उम्मीदें हैं. अदा बॉलीवुड में अपना एक अलग मुकाम बनाने की इच्छा रखती हैं और उन्हें उम्मीद है कि 'कमांडो 2' उनके इस सपने को कामयाब करने में मील का पत्थर साबित होगी. साल 2008 में फिल्म '1920' से डेब्यू कर चुकीं अदा ने यूं तो 'हम हैं राही कार के' और 'हंसी तो फंसी' जैसी फिल्मों में काम किया है लेकिन ये फिल्में ज्यादा चल नहीं सकीं और इसी लिए अदा को भी बॉलीवुड में कोई पहचान नहीं मिल सकी. लेकिन अदा को उम्मीद है कि 'कमांडो 2' में उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मौका मिला है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस को दिए अपने एक इंटरव्यू में अदा ने कहा, 'फिल्म 1920 में मैंने भूत का किरदार निभाया था लेकिन 'कमांडो 2' में मुझे एक मॉर्डन लड़की का किरदार निभाने का मौका मिला जो लोगों को पसंद आएगा.'
अदा से जब पूछा गया कि लोग 'कमांडो 2' को विद्युत जामवाल के एक्शन के लिए देखना चाहते हैं तो ऐसे में उनके लिए इस फिल्म में क्या खास है. इस पर अदा कहती हैं, 'ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. 1920 में रजनीश दुग्गल सशक्त किरदार में थे लेकिन फिर भी लोगों ने मेरा काम पसंद किया. 'कमांडो 2' की पटकथा में मेरा किरदार बेहतरीन तरीके से गढ़ा गया है, मैंने स्क्रिप्ट सुनते ही यह फिल्म करने का मन बना लिया था. विद्युत के जबरदस्त एक्शन के बावजूद लोगों को मेरा किरदार पसंद आएगा.'
अदा शर्मा और विद्युत जामवाल इन दिनों अपनी फिल्म 'कमांडो 2' के प्रमोशन में लगे हैं और इसके लिए वह कई जगह पर घूम रहे हैं. हाल ही में अदा विद्युत के साथ आर्मी कैंप में भी गईं और उन्होंने वहां जवानों के साथ डांस भी किया.
बता दें कि इस फिल्म में अदा ने सभी एक्शन सीन हाई हील्स में किए हैं. अपने एक्शन सीन्स पर अदा कहती हैं, ' हां, यह सही है कि मैंने एक्शन सीन हील्स पहनकर किए हैं. हील के साथ एक्शन करना बहुत आसान है और यह स्क्रिप्ट की डिमांड के अनुरूप किया गया है. मैंने फिल्म में गुची बैग से एक्शन दृश्य भी कर रही हूं जो लोगों को भाएंगे.'
बता दें कि हिंदी फिल्मों में करियर की शुरुआत करने से पहले अदा तमिल, कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. उनसे जब पूछा गया कि साउथ इंडियन फिल्मों की तुलना में हिंदी फिल्मों में काम करना कितना चुनौतीपूर्ण है, तो अदा ने आईएएनएस को बताया, 'दक्षिण भारत में एक्शन फिल्मों और रोमांटिक फिल्मों को अधिक पसंद किया जाता है. अक्षय कुमार हाल ही में दक्षिण में रजनीकांत के साथ फिल्म की शूटिंग करके आए हैं तो मणिरत्नम हिंदी फिल्म जगत में काम कर रहे हैं. दक्षिण या उत्तर भारत तो सिर्फ भौगोलिक सीमाएं हैं. अंतर सिर्फ भाषा का है. आजकल सभी दक्षिण भारतीय कलाकारों को हिंदी का अच्छा-खासा ज्ञान होता है और वे बड़े आराम से यहां काम करते भी हैं तो किसी के लिए चुनौती जैसा कुछ भी नहीं है. वह कहती हैं, 'मुझे लगता है कि अगर आपमें टैलेंट हैं तो आप दुनिया में कहीं भी जाकर काम कर सकते हैं.'
(इनपुट आईएएनएस से भी)
अदा से जब पूछा गया कि लोग 'कमांडो 2' को विद्युत जामवाल के एक्शन के लिए देखना चाहते हैं तो ऐसे में उनके लिए इस फिल्म में क्या खास है. इस पर अदा कहती हैं, 'ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. 1920 में रजनीश दुग्गल सशक्त किरदार में थे लेकिन फिर भी लोगों ने मेरा काम पसंद किया. 'कमांडो 2' की पटकथा में मेरा किरदार बेहतरीन तरीके से गढ़ा गया है, मैंने स्क्रिप्ट सुनते ही यह फिल्म करने का मन बना लिया था. विद्युत के जबरदस्त एक्शन के बावजूद लोगों को मेरा किरदार पसंद आएगा.'
अदा शर्मा और विद्युत जामवाल इन दिनों अपनी फिल्म 'कमांडो 2' के प्रमोशन में लगे हैं और इसके लिए वह कई जगह पर घूम रहे हैं. हाल ही में अदा विद्युत के साथ आर्मी कैंप में भी गईं और उन्होंने वहां जवानों के साथ डांस भी किया.
बता दें कि इस फिल्म में अदा ने सभी एक्शन सीन हाई हील्स में किए हैं. अपने एक्शन सीन्स पर अदा कहती हैं, ' हां, यह सही है कि मैंने एक्शन सीन हील्स पहनकर किए हैं. हील के साथ एक्शन करना बहुत आसान है और यह स्क्रिप्ट की डिमांड के अनुरूप किया गया है. मैंने फिल्म में गुची बैग से एक्शन दृश्य भी कर रही हूं जो लोगों को भाएंगे.'
बता दें कि हिंदी फिल्मों में करियर की शुरुआत करने से पहले अदा तमिल, कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. उनसे जब पूछा गया कि साउथ इंडियन फिल्मों की तुलना में हिंदी फिल्मों में काम करना कितना चुनौतीपूर्ण है, तो अदा ने आईएएनएस को बताया, 'दक्षिण भारत में एक्शन फिल्मों और रोमांटिक फिल्मों को अधिक पसंद किया जाता है. अक्षय कुमार हाल ही में दक्षिण में रजनीकांत के साथ फिल्म की शूटिंग करके आए हैं तो मणिरत्नम हिंदी फिल्म जगत में काम कर रहे हैं. दक्षिण या उत्तर भारत तो सिर्फ भौगोलिक सीमाएं हैं. अंतर सिर्फ भाषा का है. आजकल सभी दक्षिण भारतीय कलाकारों को हिंदी का अच्छा-खासा ज्ञान होता है और वे बड़े आराम से यहां काम करते भी हैं तो किसी के लिए चुनौती जैसा कुछ भी नहीं है. वह कहती हैं, 'मुझे लगता है कि अगर आपमें टैलेंट हैं तो आप दुनिया में कहीं भी जाकर काम कर सकते हैं.'
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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