नई दिल्ली:
ओम पुरी को क्या अपनी मौत का अंदाजा था? क्योंकि एक रात पहले ही इस कलाकार ने एक इंटरव्यू में खुद कहा कि मेरे जाने के बाद मेरा योगदान याद किया जाएगा. ओम पुरी दुनिया से चले गए लेकिन उनके यह शब्द हमेशा याद किए जाएंगे. उन्होंने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कुछ इस तरह की बात की थी. उन्होंने कहा था कि उनका योगदान दुनिया छोड़ने के बाद नजर आएगा.
ओम पुरी ने 23 दिसंबर, 2016 को एक होटल में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा, "मेरे दुनिया छोड़ने के बाद, मेरा योगदान दिखेगा और युवा पीढ़ी में विशेष रूप से फिल्मी छात्र मेरी फिल्में जरूर देखेंगे' 66 वर्षीय अभिनेता का शुक्रवार सुबह घर में ही दिल का पड़ने से निधन हो गया.
वह बॉलीवुड सिनेमा, बल्कि पाकिस्तानी, ब्रिटिश और हॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी बेमिसाल अदाकारी के लिए जाने जाते रहे हैं और आज अचानक हुए उनके निधन से सिनेमा की दुनिया सदमे में हैं. समानांतर सिनेमा से लेकर व्यावसायिक सिनेमा में अपने अभिनय की छाप छोड़ चुके ओम पुरी ने कहा, "मेरे लिए वास्तविक सिनेमा 1980 और 1990 के दशक का था, जब श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, बासु चटर्जी, मृणाल सेन और गुलजार जैसे फिल्म-निर्देशकों ने उल्लेखनीय फिल्में बनाईं'.
ओम पुरी, निहलानी और बेनेगल के साथ 'आक्रोश', 'अर्धसत्य' और 'तमस' जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं. पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत हो चुके ओम पुरी ने वर्ष 1972 से मराठी फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने 'मिर्च मसाला', 'जाने भी दो यारो', 'चाची 420', 'हेराफेरी', 'मालामाल विकली' जैसी कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं.
ओम पुरी ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'सिनेमा दो प्रकार के होते हैं. एक सिर्फ मनोरंजन के लिए और दूसरा दिल छूने के लिए। दोनों का अपना उद्देश्य है.' जब वह राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने सार्थक फिल्मों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने हाल ही में बॉलीवुड फिल्म 'घायल वन्स अगेन' और 'मिर्जिया' जैसी बॉलीवुड फिल्म और पाकिस्तानी फिल्म 'एक्टर इन लॉ' जैसी फिल्मों में काम किया.
ओम पुरी ने हॉलीवुड एनिमेशन फिल्म 'जंगल बुक' में बघीरा नामक किरदार को अपनी आवाज भी दी थी जिसे खासा पसंद किया गया. उन्हें वर्ष 1990 में भारत के चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया. वर्ष 2004 में उन्हें ब्रिटिश फिल्म उद्योग की सेवाओं के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का मानद अधिकारी बनाया गया था. फिल्मी दुनिया की यात्रा हमेशा शानदार रही है, लेकिन वर्ष 2013 में उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया. इसके बाद उनका अलगाव हो गया.
पढ़ें- ओम पुरी का जाना : सिनेमा से एक आम इनसान का चेहरा खो जाना
वह अपने विवादों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं. पिछले साल उन्होंने सेना के जवानों को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद उनकी खूब निंदा हुई थी. इस मामले को लेकर उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था. वर्ष 2015 में उन्होंने भारत में गोहत्या पर बात की थी और 2012 में वह नक्सलियों को दिए अपने बयान को लेकर घिरे. उन्होंने कहा था नक्सली फाइटर हैं, वे आतंकवादियों की तरह सड़कों में बम नहीं प्लांट करते. ओम पुरी अपने अंतिम समय तक अपने काम और शब्दों को लेकर निडर रहे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ओम पुरी ने 23 दिसंबर, 2016 को एक होटल में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा, "मेरे दुनिया छोड़ने के बाद, मेरा योगदान दिखेगा और युवा पीढ़ी में विशेष रूप से फिल्मी छात्र मेरी फिल्में जरूर देखेंगे' 66 वर्षीय अभिनेता का शुक्रवार सुबह घर में ही दिल का पड़ने से निधन हो गया.
वह बॉलीवुड सिनेमा, बल्कि पाकिस्तानी, ब्रिटिश और हॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी बेमिसाल अदाकारी के लिए जाने जाते रहे हैं और आज अचानक हुए उनके निधन से सिनेमा की दुनिया सदमे में हैं. समानांतर सिनेमा से लेकर व्यावसायिक सिनेमा में अपने अभिनय की छाप छोड़ चुके ओम पुरी ने कहा, "मेरे लिए वास्तविक सिनेमा 1980 और 1990 के दशक का था, जब श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, बासु चटर्जी, मृणाल सेन और गुलजार जैसे फिल्म-निर्देशकों ने उल्लेखनीय फिल्में बनाईं'.
ओम पुरी, निहलानी और बेनेगल के साथ 'आक्रोश', 'अर्धसत्य' और 'तमस' जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं. पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत हो चुके ओम पुरी ने वर्ष 1972 से मराठी फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने 'मिर्च मसाला', 'जाने भी दो यारो', 'चाची 420', 'हेराफेरी', 'मालामाल विकली' जैसी कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं.
ओम पुरी ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'सिनेमा दो प्रकार के होते हैं. एक सिर्फ मनोरंजन के लिए और दूसरा दिल छूने के लिए। दोनों का अपना उद्देश्य है.' जब वह राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने सार्थक फिल्मों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने हाल ही में बॉलीवुड फिल्म 'घायल वन्स अगेन' और 'मिर्जिया' जैसी बॉलीवुड फिल्म और पाकिस्तानी फिल्म 'एक्टर इन लॉ' जैसी फिल्मों में काम किया.
ओम पुरी ने हॉलीवुड एनिमेशन फिल्म 'जंगल बुक' में बघीरा नामक किरदार को अपनी आवाज भी दी थी जिसे खासा पसंद किया गया. उन्हें वर्ष 1990 में भारत के चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया. वर्ष 2004 में उन्हें ब्रिटिश फिल्म उद्योग की सेवाओं के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का मानद अधिकारी बनाया गया था. फिल्मी दुनिया की यात्रा हमेशा शानदार रही है, लेकिन वर्ष 2013 में उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया. इसके बाद उनका अलगाव हो गया.
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वह अपने विवादों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं. पिछले साल उन्होंने सेना के जवानों को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद उनकी खूब निंदा हुई थी. इस मामले को लेकर उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था. वर्ष 2015 में उन्होंने भारत में गोहत्या पर बात की थी और 2012 में वह नक्सलियों को दिए अपने बयान को लेकर घिरे. उन्होंने कहा था नक्सली फाइटर हैं, वे आतंकवादियों की तरह सड़कों में बम नहीं प्लांट करते. ओम पुरी अपने अंतिम समय तक अपने काम और शब्दों को लेकर निडर रहे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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