फिल्म 'मॉम' का पोस्टर.
नई दिल्ली:
शुक्रवार को सिनेमाघरों में श्रीदेवी की 300वीं फिल्म 'मॉम' रिलीज हुई है. यह फिल्म एक मां के लिए 'मां' का दर्जा पाने और एक बदले की कहानी है. एक मां, जो अपनी बेटी के साथ हुए बलात्कार के खिलाफ इंसफ पाने के लिए कानून का दरवाजा खटखटाती है और कानून से इंसाफ न मिलने पर खुद ही अपनी बेटी के लिए इंसाफ ढूंढने निकल पड़ती है. जैसा की हम पहले ही बता चुके हैं कि यह फिल्म श्रीदेवी के करियर की 300वीं फिल्म है. इस फिल्म में उनका साथ दे रहे हैं नवाजुद्दीन सिद्दकी और अक्षय खन्ना. इसके अलावा फिल्म में सजल अली, अदनान सिद्दीक़ी, प्रमुख रूप से नजर आए हैं. इस फिल्म के निर्देशक रवि उदयवर हैं. इस फिल्म का संगीत म्यूजिक मास्टर ए. आर. रहमान ने दिया है.
श्रीदेवी तो अपनी एक्टिंग और कला का लोहा 'इंग्लिश विंग्लिश' में भी मनवा चुकी हैं, लेकिन 'मॉम' एक अलग तरह की फिल्म है. फिल्म की खामियों की बात करें तो मुझे इस फिल्म में कुछ ही खामियां नजर आईं, जिनमें से एक है इंटरवेल से पहले फिल्म का थोड़ा खिंचाव. मुझे लगा की ये फिल्म मध्यांतर से पहले थोड़ा सा खिंचती है. इसके अलावा इस फिल्म का क्लाइमैक्स भी काफी आजमाया हुआ सा है यानी क्लाइमैक्स में कुछ नया नहीं है. इसके अलावा एक और कमी, जिसको मैं फिल्मकार की खामी नहीं, बल्कि वक्त की खामी मानता हूं, वो यह कि यह फिल्म रवीना टंडन की 'मातृ' के बाद आई है और दोनों कहानियां लगभग एक सी हैं.
फिल्म की खूबियों पर नजर डालें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म में 'मातृ' से इमोशन की एक परत ज्यादा है. फिल्म में दो संघर्ष समांतर रूप से चलते हैं. इस फिल्म का ट्रीटमेंट भी रिच है. फिल्म का कैन्वस बड़ा है, स्क्रीन्प्ले और स्क्रिप्ट में कसावट है, डाइयलॉग्ज में धार है और सोने पे सुहागा है सभी कलाकारों का अभिनय. फिर चाहे वो श्रीदेवी हों, नवाज, अक्षय खन्ना, सजल अली या फिर बी शान्तनु. श्रीदेवी और नवाज, दोनों ने ही बेहतरीन अभिनय किया है.
फिल्म में नवाज का लुक काफी कमाल का है. यहां पर मैं रवि उदयवर के निर्देशन की भी तारीफ करुंगा जिन्होंने प्रभावशाली फिल्मांकन किया है. फिल्म के कई सीन आप को झंकझोर जाएंगे. जहां निर्देशन ने कमाल किया है तो वहीं फिल्म के सीन्स को दमदार बनाया है ए. आर. रहमान के बैकग्राउंड म्यूजिक और अनय गोस्वामी की सिनेमेटोग्राफी ने. मुझे लगता है 'मॉम' एक बेहतरीन फिल्म है और मैं इसे दूंगा 3.5 स्टार.
श्रीदेवी तो अपनी एक्टिंग और कला का लोहा 'इंग्लिश विंग्लिश' में भी मनवा चुकी हैं, लेकिन 'मॉम' एक अलग तरह की फिल्म है. फिल्म की खामियों की बात करें तो मुझे इस फिल्म में कुछ ही खामियां नजर आईं, जिनमें से एक है इंटरवेल से पहले फिल्म का थोड़ा खिंचाव. मुझे लगा की ये फिल्म मध्यांतर से पहले थोड़ा सा खिंचती है. इसके अलावा इस फिल्म का क्लाइमैक्स भी काफी आजमाया हुआ सा है यानी क्लाइमैक्स में कुछ नया नहीं है. इसके अलावा एक और कमी, जिसको मैं फिल्मकार की खामी नहीं, बल्कि वक्त की खामी मानता हूं, वो यह कि यह फिल्म रवीना टंडन की 'मातृ' के बाद आई है और दोनों कहानियां लगभग एक सी हैं.
फिल्म की खूबियों पर नजर डालें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म में 'मातृ' से इमोशन की एक परत ज्यादा है. फिल्म में दो संघर्ष समांतर रूप से चलते हैं. इस फिल्म का ट्रीटमेंट भी रिच है. फिल्म का कैन्वस बड़ा है, स्क्रीन्प्ले और स्क्रिप्ट में कसावट है, डाइयलॉग्ज में धार है और सोने पे सुहागा है सभी कलाकारों का अभिनय. फिर चाहे वो श्रीदेवी हों, नवाज, अक्षय खन्ना, सजल अली या फिर बी शान्तनु. श्रीदेवी और नवाज, दोनों ने ही बेहतरीन अभिनय किया है.
फिल्म में नवाज का लुक काफी कमाल का है. यहां पर मैं रवि उदयवर के निर्देशन की भी तारीफ करुंगा जिन्होंने प्रभावशाली फिल्मांकन किया है. फिल्म के कई सीन आप को झंकझोर जाएंगे. जहां निर्देशन ने कमाल किया है तो वहीं फिल्म के सीन्स को दमदार बनाया है ए. आर. रहमान के बैकग्राउंड म्यूजिक और अनय गोस्वामी की सिनेमेटोग्राफी ने. मुझे लगता है 'मॉम' एक बेहतरीन फिल्म है और मैं इसे दूंगा 3.5 स्टार.
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