नई दिल्ली:
कंगना रनौत अक्सर अपने किरदार में उतरने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं. जल्द ही बॉलीवुड की यह 'क्वीन' फिल्म 'मणिकर्णिका' में रानी लक्ष्मीबाई के किरदार में नजर आने वाली हैं. कंगना ने गुरुवार को दशाश्वामेध घाट पर अपनी फिल्म का 20 फुट लंबा पोस्टर रिलीज किया और इस मौके पर वह गंगा मैया की आरती करते हुए और डुबकी लगाते हुए नजर आईं. कंगना मराठी अंदाज में पहनी गई साड़ी में गंगा में उतरीं और पांच बार डुबकी लगाई. इस मौके कंगना के अलावा फिल्म की पूरी टीम, गायिका रिचा शर्मा, संगीत निर्देशक शंकर एहसान लॉय और लेखक प्रसून जोशी भी मौजूद थे. फिल्म 'मणिकर्णिका: द क़्वीन ऑफ़ झांसी' में कंगना रानी लक्ष्मीबाई के किरदार में नजर आने वाली हैं.
कंगना दशश्वमेघ घाट पर शाम की आरती के वक्त रानी लक्ष्मीबाई की पोशाक में गंगा के किनारे आईं. वहां उन्होंने पहले गंगा स्तुति की, फिर गंगा पूजन किया, जल और दूध से मां गंगा का अभिषेक किया और आरती करने के बाद उतर पड़ी गंगा में डुबकी लगाने के लिये. उन्होंने पांच डुबकी लगाई और हर हर गंगे कहते हुए बाहर निकली.
इस फ़िल्म के राइटर बॉलीवुड के जाने माने लेखक के वी विजयेंद्र हैं जिन्होंने 'बाहुबली', 'बाहुबली द कनक्लूजन' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी सफल फिल्में लिखी हैं. फ़िल्म के गीत और संवाद प्रसून जोशी ने लिखे हैं.
गौरतलब है कि 1857 की नायक रहीं वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में बनारस में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
रानी लक्ष्मीबाई का बचपन तुलसी घाट के बगल अस्सी और रीवा घाट पर बीता. यहीं घाट की सीढ़ियों पर उन्होंने घुड़सवारी और तलवारबाजी भी सीखी. बाद में जीवन में कई उतार चढ़ाव आये. बच्चे को खोया, फिर पति को खोया, फिर राजपाट खोया. लेकिन नहीं खोया तो आत्मबल. फ़िल्म में उनके जीवन की घटनाओं को छूने की कोशिश होगी.
कंगना दशश्वमेघ घाट पर शाम की आरती के वक्त रानी लक्ष्मीबाई की पोशाक में गंगा के किनारे आईं. वहां उन्होंने पहले गंगा स्तुति की, फिर गंगा पूजन किया, जल और दूध से मां गंगा का अभिषेक किया और आरती करने के बाद उतर पड़ी गंगा में डुबकी लगाने के लिये. उन्होंने पांच डुबकी लगाई और हर हर गंगे कहते हुए बाहर निकली.
इस फ़िल्म के राइटर बॉलीवुड के जाने माने लेखक के वी विजयेंद्र हैं जिन्होंने 'बाहुबली', 'बाहुबली द कनक्लूजन' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी सफल फिल्में लिखी हैं. फ़िल्म के गीत और संवाद प्रसून जोशी ने लिखे हैं.
गौरतलब है कि 1857 की नायक रहीं वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में बनारस में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
रानी लक्ष्मीबाई का बचपन तुलसी घाट के बगल अस्सी और रीवा घाट पर बीता. यहीं घाट की सीढ़ियों पर उन्होंने घुड़सवारी और तलवारबाजी भी सीखी. बाद में जीवन में कई उतार चढ़ाव आये. बच्चे को खोया, फिर पति को खोया, फिर राजपाट खोया. लेकिन नहीं खोया तो आत्मबल. फ़िल्म में उनके जीवन की घटनाओं को छूने की कोशिश होगी.
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