मुंबई:
13 साल बाद ही सही सलमान खान हिट एंड रन मुक़दमे के फैसले की तारीख आखिरकार मुक़र्रर हो गई। सत्र न्यायाधीश डी डब्लू देशपांडे 6 मई 2015 को अपना फैसला सुनाएंगे। इस बीच बचाव पक्ष की मांग पर अदालत ने फैसला आने तक मुकदमे पर किसी भी तरह की टिपण्णी छापने ये दिखाने पर रोक लगा दिया है।
अभिनेता सलमान खान पर आरोप है कि 28 सितम्बर 2002 को शराब पीकर तेज रफ़्तार से कार चलाते हुए उन्होंने बांद्रा में फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों को कुचल दिया था।उस हादसे में नुरुला नाम के एक मजदुर की मौत हो गई थी और चार जख्मी हुए थे।
21 अक्टूबर 2002 को बान्द्रा कोर्ट में चार्जशीट दायर हुई, जिसमें सलमान पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप भी शामिल था, जिसे लेकर मामला सत्र न्यायालय, फिर हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय तक गया, लेकिन तब तक ट्रायल कोर्ट 17 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी थी। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला ट्रायल कोर्ट यानी की बांद्रा के मजिस्ट्रेट पर छोड़ दिया।
2011 में मजिस्ट्रेट ने पाया कि सलमान पर गैर-इरादतन हत्या यानी की धारा 304 पार्ट-2 के तहत आरोप बनता है। इसलिए दिसंबर 2012 में मामला सत्र न्यायालय में आ गया। सत्र न्यायालय में एक बार फिर से सलमान खान की तरफ से मजिस्टेट के फैसले को चुनौती दी गई, लेकिन सत्र न्यायालय ने धारा 304 पार्ट 2 को बरकरार रखा और जुलाई 2013 को फिर से आरोप तय कर नए सिरे मुक़दमे की शुरुआत हुई।
तब से अब तक चले मुक़दमे में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अभियोजन पक्ष ने अपनी तरफ से 27 गवाह पेश किए, लेकिन मुकदमे में उस समय नया मोड़ आ गया जब सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपी सलमान खान का बयान हुआ। सलमान ने बताया कि उन पर लगे आरोप गलत हैं। उस रात ना तो मैंने शराब पी थी और ना ही मैं गाड़ी चला रहा था। सलमान की तरफ से ड्राइवर अशोक सिंह को गवाह के तौर पर पेश किया गया, जिसने अदालत को बताया कि उस रात गाड़ी सलमान खान नहीं वह खुद चला रहा था।
सलमान खान पर कुल 5 धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है, जिसमें 304 पार्ट 2 गैर इरादतन हत्या से जुड़ी है, जिसके तहत ज्यादा से ज्यादा 10 साल की सजा का प्रावधान है।
अभिनेता सलमान खान पर आरोप है कि 28 सितम्बर 2002 को शराब पीकर तेज रफ़्तार से कार चलाते हुए उन्होंने बांद्रा में फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों को कुचल दिया था।उस हादसे में नुरुला नाम के एक मजदुर की मौत हो गई थी और चार जख्मी हुए थे।
21 अक्टूबर 2002 को बान्द्रा कोर्ट में चार्जशीट दायर हुई, जिसमें सलमान पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप भी शामिल था, जिसे लेकर मामला सत्र न्यायालय, फिर हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय तक गया, लेकिन तब तक ट्रायल कोर्ट 17 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी थी। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला ट्रायल कोर्ट यानी की बांद्रा के मजिस्ट्रेट पर छोड़ दिया।
2011 में मजिस्ट्रेट ने पाया कि सलमान पर गैर-इरादतन हत्या यानी की धारा 304 पार्ट-2 के तहत आरोप बनता है। इसलिए दिसंबर 2012 में मामला सत्र न्यायालय में आ गया। सत्र न्यायालय में एक बार फिर से सलमान खान की तरफ से मजिस्टेट के फैसले को चुनौती दी गई, लेकिन सत्र न्यायालय ने धारा 304 पार्ट 2 को बरकरार रखा और जुलाई 2013 को फिर से आरोप तय कर नए सिरे मुक़दमे की शुरुआत हुई।
तब से अब तक चले मुक़दमे में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अभियोजन पक्ष ने अपनी तरफ से 27 गवाह पेश किए, लेकिन मुकदमे में उस समय नया मोड़ आ गया जब सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपी सलमान खान का बयान हुआ। सलमान ने बताया कि उन पर लगे आरोप गलत हैं। उस रात ना तो मैंने शराब पी थी और ना ही मैं गाड़ी चला रहा था। सलमान की तरफ से ड्राइवर अशोक सिंह को गवाह के तौर पर पेश किया गया, जिसने अदालत को बताया कि उस रात गाड़ी सलमान खान नहीं वह खुद चला रहा था।
सलमान खान पर कुल 5 धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है, जिसमें 304 पार्ट 2 गैर इरादतन हत्या से जुड़ी है, जिसके तहत ज्यादा से ज्यादा 10 साल की सजा का प्रावधान है।
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