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This Article is From Jul 04, 2016

ढाका हमले पर इरफान खान - 'अंदर अजीब वहशत का सन्नाटा है, मज़हब को बदनाम न होने दें'

ढाका हमले पर इरफान खान - 'अंदर अजीब वहशत का सन्नाटा है, मज़हब को बदनाम न होने दें'
इरफान खान
नई दिल्ली: बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग का लोहा मानवाने वाले इरफान खान ने एक बार फिर धर्म के नाम पर हो रही हिंसा पर सवाल उठाया है। कुछ दिन पहले इस्लाम में कुर्बानी की प्रथा की अपनी व्याख्या करने के विवादों में आए इरफान ने इस बार इस्लाम के नाम पर हो रही हिंसा का विरोध किया है। इस बार इरफान ने भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की राजधानी हुए आतंकी हमले पर अपने विचार रखे हैं। यह विचार इरफान ने अपने फेसबुक पेज पर डाले हैं।

उन्होंने लिखा, 'बचपन में मजहब के बारे में कहा गया था कि आपका पड़ोसी भूखा हो तो आपको उसको शामिल किए बिना अकेले खाना नहीं खाना चाहिए। बांग्लादेश की खबर सुनकर अंदर अजीब वहशत का सन्नाटा है। कुरान की आयतें न जानने की वजह से रमजान के महीने में लोगों का कत्ल कर दिया गया। हादसा एक जगह होता है, बदनाम इस्लाम और पूरी दुनिया का मुसलमान होता है। वो इस्लाम जिसकी बुनियाद ही अमन, रहम और दूसरों का दर्द महसूस करना है। ऐसे में क्या मुसलमान चुप बैठा रहे और मजहब को बदनाम होने दे? या वो खुद इस्लाम के सही मायने को समझे और दूसरों को बताए कि जुल्म और कत्लो गहरत करना इस्लाम नहीं है। ये एक सवाल है!'





इससे पहले कुर्बानी प्रथा अपने विचारों के चलते भी कुछ लोगों की आलोचना का शिकार इस बॉलीवुड सितारे को होना पड़ा था। इस पर भी इरफान ने अपने फेसबुक पर कहा था ''प्लीज भाइयों, जो लोग मेरे बयान से अपसेट हैं, या तो आपने अपने भीतर झांकने की कोशिश नहीं की, या फिर आप नतीजे पर पहुंचने की जल्दी में हैं। इरफान ने कहा कि मेरे लिए धर्म स्वयं को भीतर से परखने और प्यार का एक माध्यम है। मैं धर्म के ठेकेदारों से नहीं डरता। उन्होंने कहा कि भगवान का धन्यवाद कि मैं ऐसे देश में नहीं रहता जहां धर्म के ठेकेदारों की नहीं चलती।' इस संदेश के साथ उन्होंने #Freedom का प्रयोग किया।

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