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This Article is From Apr 27, 2017

विनोद खन्ना की वो 5 फिल्में जिन्होंने एक ‘विलेन’ को बना दिया हीरो...

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विनोद खन्ना की वो 5 फिल्में जिन्होंने एक ‘विलेन’ को बना दिया हीरो...
हिंदी सिनेमा को कई सुपरहिट फिल्में देने वाले और अपने अभिनय से इस फिल्मी दुनिया में नए कीर्तिमान बनाने वाले हिंदी सिनेमा के सितारे विनोद खन्ना अब नहीं रहे. पिछले कुछ समय से वह कैंसर से लड़ रहे थे. 70 साल की उम्र दुनिया से विदा लेने वाले इस अभिनेता, राजनेता ने अपने हर कर्मक्षेत्र में सक्रियता से अपने किरदार निभाए. उनकी याद में एक नजर उनके फिल्मी  सफर पर...

कहते हैं कि विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि वे फिल्मों में काम करें. जब उन्हें अपनी पहली फिल्म का ऑफर मिला और उन्होंने यह बात अपने पिता को बताई, तो वे बहुत नाराज हुए. पिता की नाराजगी इस हद तक थी कि उन्होंने विनोद खन्ना से साफ कह दिया था कि अगर वे फिल्‍मों में गए तो उन्हें गोली मार दी जाएगी. 

पर मां का प्यांर और साथ विनोद खन्ना को हमेशा मिला. मां ने पिता को समझाया और विनोद को दो साल तक फिल्मों में किस्मत आजमाने का मौका दिया गया. वह भी इस धमकी के साथ कि असफल होने पर दो साल बाद घर के व्यवसाय में हाथ बंटाना होगा. 

प्यारी सी मुस्कान वाले विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत बतौर हीरो नहीं विलेन की थी. उन्होंने 1968 में सुनील दत्त की फिल्म मन का मीत से फिल्मों में कदम रखा. 
 
'मन का मीत'
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1968 में 'मन का मीत' बॉक्स ऑफिस पर कामियाब साबित हुई. इसके बाद तो विनोद खन्ना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. विनोद खन्ना ने एक के बाद एक कई सफल फिल्में कीं. लेकिन इस शानदार व्यक्तित्व के धनी अभिनेता को फिल्म आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों तक विलेन के रोल ही ऑफर होते रहे और उन्होनें इन्हें बखूबी निभाया भी. 
 
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‘मेरे अपने’

विनोद खन्ना को बतौर हीरो पहचान मिली बतौर निर्देशक गुलजार की पहली फिल्म ‘मेरे अपने’ से. इस फिल्म में विनोद खन्ना  को मीना कुमारी के साथ काम करने का मौका भी मिला. 
 
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 1973 में फिल्म 'अचानक'
इस सफल फिल्म के बाद विनोद खन्ना और निर्देशक गुलजार की जोड़ी ने साल 1973 में फिल्म 'अचानक' पेश की. यह फिल्म विनोद खन्ना की अब तक की सभी फिल्‍मों में सबसे सफल फिल्म रही. इस फिल्म में गुलजार ने एक प्रयोग किया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म का निर्देशन भले ही गुलजार ने किया हो, लेकिन इसमें एक भी गीत नहीं था... फिर भी यह एक हिट फिल्म साबित हुई. 
 
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1974 में 'इम्तिहान' और 'अमर अकबर ऐंथनी'

इसके बाद साल 1974 में 'इम्तिहान' विनोद खन्ना की एक और सुपरहिट फिल्म बनकर आई. यहां से विनोद ने जो सफर शुरू किया वह उन्हें हिंदी सिनेमा के बड़े कलाकारों में शामिल करने की शुरुआत थी. सफलता के इस पायदान पर चलते चलते उन्होंने 1977 में फिल्म 'अमर अकबर ऐंथनी' में अपने अभिनय का इतना शानदार प्रदर्शन किया कि लोग उनके फैन हो गए. इसी साल वे फिल्म परवरिश में भी दिखे. लेकिन जो कमाल अमर अकबर एंथनी में हुआ वह परवरिश नहीं कर पाई. 
 
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1980 में फिल्म 'कुर्बानी'

इसके बाद साल 1980 में फिल्म 'कुर्बानी' ने उनकी सुपरहिट फिल्मों की लिस्ट में एक और नाम जोड़ दिया. फिल्म अमर अकबर एंथनी फिल्म ने विनोद खन्ना को एक नई पहचान दिलाई. 
 
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‘इम्तिहान’, ‘मेरे अपने’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘लहू के दो रंग’, ‘कुर्बानी’, ‘इनकार’, और ‘दयावान’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय के लिए उन्हें  जाना जाता है. अंतिम बार विनोद खन्ना साल 2015 में शाहरुख खान की फिल्म ‘दिलवाले’ में दिखे थे.

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