फिल्म से ली गई तस्वीर
मुंबई:
फिल्म 'धनक' की कहानी एक 8 साल के नेत्रहीन लड़के छोटू और उसकी 10 साल की बहन परी की है, जो अपने भाई के 9वें जन्मदिन से पहले उसके आंखों की रोशनी वापस दिलाना चाहती है। इसके लिए वह शाहरुख खान से मिलना चाहती है, क्योंकि नेत्रदान की अपील करते हुए परी ने शाहरुख को पोस्टर में देखा है और फिर परी शाहरुख से मिलने अपने भाई को लेकर सफ़र पर निकल पड़ती है।
हर चीज में दिखती है खूबसूरती
फिल्म 'धनक' की कहानी बसी है राजस्थान में और खास बात यह है कि लेखक और निर्देशक नागेश कुकुनूर ने पर्दे पर कहानी कहने के साथ-साथ राजस्थान की सुंदरता को अच्छे से दर्शाया है फिर वो चाहे रात के हलके अंधेरे में खड़े पेड़ की सुंदरता हो या दिन की धूप में रेतीले पहाड़ों की सुंदरता, हर चीज़ को खूबसूरती से दिखाया है।
भाई-बहन की नोकझोंक
फिल्म में भाई-बहन का एक दूसरे के लिए प्यार है, आंखों की रोशनी हासिल करने की हिम्मत है और राजस्थान का बेहतरीन संगीत है। अच्छे संवाद हैं जो भाई-बहन की नोकझोंक सुनकर होंठो पर मुस्कुराहट बिखेरते हैं। साथ ही भाई बहन के रोल को कृष छाबरिया और हेतल गाड़ा ने अच्छे से निभाया है।
कुछ सीन हैं समझ से बाहर
फिल्म में कमी की अगर बात करें तो शाहरुख तक पहुंचने का सफर थोड़ा लंबा हो गया। दूसरे हाफ में ऐसा लगने लगा जैसे कि कहानी रिपीट होने लगी है। जादू-टोना वाली माता और पागल हुए ट्रक ड्राइवर के सीन कुछ समझ से बाहर हैं या फिर यह कह सकते हैं कि फिल्म में उनकी जगह कुछ और अच्छे ट्रैक बनाए जा सकते थे। फिर भी मैं कहूंगा कि आप इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं, क्योंकि ऐसी फिल्में हिम्मत और हौसले की प्रेरणा देती हैं और यह फिल्म बोर नहीं करती इसलिए धनक के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
हर चीज में दिखती है खूबसूरती
फिल्म 'धनक' की कहानी बसी है राजस्थान में और खास बात यह है कि लेखक और निर्देशक नागेश कुकुनूर ने पर्दे पर कहानी कहने के साथ-साथ राजस्थान की सुंदरता को अच्छे से दर्शाया है फिर वो चाहे रात के हलके अंधेरे में खड़े पेड़ की सुंदरता हो या दिन की धूप में रेतीले पहाड़ों की सुंदरता, हर चीज़ को खूबसूरती से दिखाया है।
भाई-बहन की नोकझोंक
फिल्म में भाई-बहन का एक दूसरे के लिए प्यार है, आंखों की रोशनी हासिल करने की हिम्मत है और राजस्थान का बेहतरीन संगीत है। अच्छे संवाद हैं जो भाई-बहन की नोकझोंक सुनकर होंठो पर मुस्कुराहट बिखेरते हैं। साथ ही भाई बहन के रोल को कृष छाबरिया और हेतल गाड़ा ने अच्छे से निभाया है।
कुछ सीन हैं समझ से बाहर
फिल्म में कमी की अगर बात करें तो शाहरुख तक पहुंचने का सफर थोड़ा लंबा हो गया। दूसरे हाफ में ऐसा लगने लगा जैसे कि कहानी रिपीट होने लगी है। जादू-टोना वाली माता और पागल हुए ट्रक ड्राइवर के सीन कुछ समझ से बाहर हैं या फिर यह कह सकते हैं कि फिल्म में उनकी जगह कुछ और अच्छे ट्रैक बनाए जा सकते थे। फिर भी मैं कहूंगा कि आप इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं, क्योंकि ऐसी फिल्में हिम्मत और हौसले की प्रेरणा देती हैं और यह फिल्म बोर नहीं करती इसलिए धनक के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।