आज रिलीज़ हुई है, धर्मा प्रोडक्शन्स की 'हंसी तो फंसी', जिसका निर्देशन किया है विनीत मैथ्यू ने, और मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं परिणीति चोपड़ा, सिद्धार्थ मल्होत्रा, अदा शर्मा, मनोज जोशी और शरत सक्सेना ने...
'हंसी तो फंसी' की कहानी घूमती है 'निखिल', यानि सिद्धार्थ मल्होत्रा तथा 'करिश्मा', यानि अदा शर्मा के इर्द-गिर्द, जो न सिर्फ एक-दूसरे से मुहब्बत करते हैं, बल्कि उनकी शादी भी तय हो चुकी है... तभी 'निखिल' की मुलाकात होती है, 'करिश्मा' की छोटी बहन 'मीता', यानि परिणीति चोपड़ा से, जो अपने परिवार से दूर रहती है, और जिसका नाम भी परिवार लेना नहीं चाहता, क्योंकि लोग उसे थोड़ा-सा 'खिसका हुआ' समझते हैं...
इसके बाद फिर 'निखिल' और 'मीता' की मुलाकात क्या 'टर्न और ट्विस्ट' लाती है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी, लेकिन मुझे 'हंसी तो फंसी' में क्या अच्छा लगा, और क्या बुरा, यह मैं बताऊंगा... पहली चीज़ यह है कि 'हंसी तो फंसी' एक रोमांटिक कॉमेडी है, और इसकी स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले को बहुत खूबसूरती से रचा गया है, लेकिन कहीं-कहीं यह हल्की-फुल्की फिल्म ड्रैग करती हुई महसूस होती है...
फिल्म में कैरेक्टराइज़ेशन भी बेहतरीन तरीके से किया गया है, और हर किरदार को बड़ी सफाई से गढ़ा गया है, फिर चाहे वह परिणीति चोपड़ा का चरित्र हो, अदा शर्मा का हो, या मनोज जोशी का... सो, कास्टिंग के लिए एक बार फिर फुल मार्क्स कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा को, जिन्होंने कई ऐसे अभिनेताओं को कास्ट किया, जो अपने किरदारों में एकदम टेलर-मेड लगते हैं... मसलन, अनिल मांगे, जो 'निखिल', यानि सिद्धार्थ मल्होत्रा के रिश्तेदार की भूमिका में हैं... वह न सिर्फ आपको हंसाते हैं, बल्कि हिन्दी सिनेमा के रोज़मर्रा के चेहरों से अलग और ज़्यादा असरदार दिखते हैं...
अब बात अभिनय की... परिणीति चोपड़ा खूबसूरती के साथ अपना किरदार निभाती हैं, और सिद्धार्थ मल्होत्रा व अदा शर्मा ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है... यहां मनोज जोशी का ज़िक्र करना बेहद ज़रूरी है, जिन्होंने परिणीति के पिता के किरदार में हैं... कई सीन्स में उन्होंने बेहतरीन परफॉरमेन्स दी है... शरत सक्सेना और बाकी छोटे-छोटे किरदार भी असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं 'हंसी तो फंसी' में...
'हंसी तो फंसी' में सिचुएशनल कॉमेडी है, जो वक्त-वक्त पर आपको मुस्कुराने पर मजबूर करेगी, वहीं कुछ सीन्स आपकी आंखें नम भी करेंगे... लेकिन मेरे लिए कहानी का जो मुख्य ढांचा है, वही काम नहीं करता, क्योंकि पिछले कुछ समय में हम ऐसी कई फिल्में देख चुके हैं, जहां एक लड़का और लड़की एक-दूसरे से इश्क करते हैं, और बाद में उन्हें एहसास होता है कि यह उनका सच्चा प्यार नहीं है, और वह कोई और ही है, जिसके साथ वे खुश रह पाएंगे...
सो, इस कारण आप फिल्म की शुरुआत में ही भांप लेते हैं कि फिल्म की कहानी क्या होगी... बस, स्क्रिप्ट, मज़ाकिया डायलॉग्स, रोचक चरित्र आपको पकड़कर रखते हैं और आपका मनोरंजन भी करते हैं... लेकिन आपको ऐसा नहीं लगता, जैसे आपने कुछ नया देखा...
संगीत की बात करें तो गाना 'ड्रामा क्वीन...' मुझे अच्छा लगा... फिल्म का ट्रीटमेंट काफी हद तक वास्तविक रखा गया है, जो मुझे अच्छा लगा... तो कुल मिलाकर इसने मुझे एंटरटेन तो किया, लेकिन कहानी में कुछ नयापन होता तो बेहतर होता... फिर भी नए निर्देशक का काम अच्छा है... सो, मेरी तरफ से फिल्म की रेटिंग है - 3 स्टार...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं