रिव्यू- '1:13:7 एक तेरा साथ' में सस्पेंस अच्छा है पर ओवरएक्टिंग ज्यादा | 2 स्टार

रिव्यू- '1:13:7 एक तेरा साथ' में सस्पेंस अच्छा है पर ओवरएक्टिंग ज्यादा | 2 स्टार

फिल्म 'एक तेरा साथ' के एक दृश्य में शरद मल्होत्रा.

मुंबई:

जब मैं  फिल्म '1:13:7 एक तेरा साथ' देखने गया तो लगा कि यह कैसा नाम है, मगर फिल्म देखते-देखते मालूम पड़ा की 1 बजकर 13 मिनट और 7 सेकंड पर आत्मा को मुक्ति दी गई इसलिए इस फिल्म का नाम '1:13:7 एक तेरा साथ' रखा गया है. इस फिल्म की कहानी है राजस्थान के जोधपुर की एक हवेली की, जहां कुंवर आदित्य प्रताप सिंह रहते हैं. उस हवेली में राजकुमार के पूर्वजों की आत्मा घूमती रहती है और वहां से डरावनी आवाज़ें आती रहती हैं. राजकुमार अपनी पत्नी कस्तूरी के प्यार में पागल है जो मर चुकी है. इससे ज्यादा इस फिल्म के बारे में कुछ भी बताना सही नहीं होगा क्योंकि ये एक हॉरर सस्पेंस फिल्म है.

फिल्म एक तेरा साथ में अपनी पत्नी कस्तूरी की मौत की वजह से एक दुखी राजकुमार न सिर्फ आत्माओं पर यकीन रखता है बल्कि वह अपना काफी समय इन आत्माओं के साथ बातचीत में गुज़रता है. राजकुमार की भूमिका में शरद मल्होत्रा साधारण लगे हैं. इनकी ओवरएक्टिंग कहीं-कहीं बुरी लगती है. कहानी को बिना किसी वजह के खींच दिया गया है. खास तौर से फिल्म का पहला भाग धीमा और लंबा लगने लगता है.

फिल्म की अच्छाइयों की बात करें तो इसका सस्पेंस अच्छा है. आखिर तक दर्शकों को समझ नहीं आएगा कि ये भूतप्रेत या आत्माओं का चक्कर क्या है. फिल्म का संगीत अच्छा है और कहानी के हिसाब से गाने ठीक लगते हैं. फिल्म में सोनाली की भूमिका में मेलानी नाज़रेथ ने अच्छा अभिनय किया है. फिल्म में कुछ सुन्दर दृश्य भी हैं. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2 स्टार.


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