शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे जबतक ज़िंदा रहे मराठी मानुष की आवाज़ बुलंद करते रहे। अब उनके निधन के बाद उनपर मराठी फ़िल्म बन चुकी है जिसका नाम है "बालकडू"।
दरअसल, शिवसेना नेताओं की कोशिश है की बाल ठाकरे की सोच और उनके विचारों को ज़िंदा रखा जाये। उनके मराठी मानुष के नारे को उनके जाने के बाद भी युवा और आने वाली पीढ़ी के बीच कायम रखने के लिए इस फिल्म का निर्माण किया गया। शिवसेना सांसद संजय राउत इस फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता हैं और अतुल काले निर्देशक।
फिल्म के म्यूज़िक रिलीज़ फंक्शन के दौरान बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे भी वहाँ मौजूद थे। इस मौके पर शिवसेना सांसद और फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता संजय राउत ने कहा की "आज की युवा पीढ़ी तक बाला साहेब के विचार पहुँचना ज़रूरी है क्योंकि बाला साहेब हमेशा मराठियों के हक़ और उनकी तरक्की के लिए लड़ाई लड़ते रहे और फ़िल्म ऐसा माध्यम है जिसकी आवाज़ आजकल का युवा सुनता है इसलिए हमने इस फिल्म को बनाने का निर्णय लिया"।
फ़िल्म "बालकडू" में दिखाया गया है की एक युवा को बार-बार बाल ठाकरे की आवाज़ सुनाई देती है और वो उनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश करता है। फिल्म के अंदर बाला-साहेब की असल आवाज़ भी डाली गई है। उनकी ये आवाज़ें उनके भाषणों से उठाकर फ़िल्म में लगाई गई है जिसे फिल्म का हीरो बार-बार फ़िल्म में सुनता है।
हिंदी और मराठी अभिनेता रितेश देशमुख कहते हैं "बाला साहेब के विचार हमेशा से प्रेरणा देते रहे हैं और देते रहेंगे और फ़िल्म "बालकडू" इसी लिए बनाई गई है ताकि उनके विचार फिल्म के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देते रहें।
ये फिल्म मराठी भाषा में बनाई गई है और बालकडू एक मराठी शब्द है जिसका मतलब होता है बचपन में घुट्टी पिलाना। अब टाइटल से फिल्म का मकसद समझ आ ही चुका होगा। ये फिल्म बाल ठाकरे के निधन 2 साल बाद बनकर तैयार हो चुकी है और अब इसे उनकी जयंती पर रिलीज़ करने की पूरी तैयारी है।
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