मुंबई:
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ में महान खिलाड़ी मिल्खा सिंह की भूमिका निभा रहे अभिनेता फरहान अख्तर का कहना है कि इस प्रतिष्ठित किरदार को निभाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी और उन्होंने इस धावक की नकल करने की कोशिश नहीं की।
फरहान ने साक्षात्कार में बताया, इस तरह की भूमिका करने के लिए आपको उस किरदार की व्याख्या करनी पड़ती है, क्योंकि आप किसी का रूप धारण करना या फिर उसकी नकल करना नहीं चाहते। आपको खुद को वह किरदार बनना पड़ता है और इसके लिए आप खुद वह इंसान बनने लगते हैं। मैंने इसी पक्ष पर ध्यान दिया। इस बड़े प्रोजेक्ट पर काम करते हुए फरहान ने ‘फ्लाइंग सिंह’ से मुलाकात की और उन्हें काफी करीब से समझा।
फरहान ने कहा, मेरी उनसे कुछ मुलाकातें हुईं, जिनमें मैंने उन्हें उनके जीवन के बारे में बताते हुए सिर्फ सुना। मैंने उनसे कोई विशेष सवाल नहीं किए। किसी को जब आप उसके जीवन के बारे में बात करते हुए सुनते हैं तो आप जान पाते हैं कि किस तरह उनकी आंखें भर आती हैं, उनकी मुस्कान कितनी बड़ी है और किसी से बातचीत करते हुए उनकी भावभंगिमाएं कितनी सहज रहती हैं। इस तरह आप चीजें चुनते हैं और अभिनय के दौरान उन पर गौर करते हैं।
फरहान ने कहा, इस किरदार को करना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इसे मुश्किल या आसान कहना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि जब आप किसी चीज को लेकर रोमांचित होते हैं तो फिर चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो, वह आसान और मजेदार लगता है। मिल्खा जी का किरदार निभाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इस फिल्म के लिए फरहान ने लंबे बालों और दाढ़ी रखने के अलावा एथलीटों जैसा सुगठित शरीर बनाया है।
उन्होंने लगातार दो सालों तक पूरे समर्पण से उन्हीं फिटनेस के तरीकों का पालन किया, जिनका पालन एथलीट करते हैं। वे खिलाड़ियों को कराए जाने वाले कई प्रशिक्षण सत्रों में भी शामिल हुए।
अभिनेता और फिल्मकार फरहान ने कहा कि जिस समय मिल्खा सिंह इस फिल्म को देखेंगे तब उन्हें काफी गर्व महसूस होगा क्योंकि इस फिल्म में सिंह की विचारधारा का पूरी तरह पालन किया है। इस विचारधारा का सार खुद को हर मुश्किल के खिलाफ लगाकर एक बेहतर स्तर हासिल करना है।
फरहान ने साक्षात्कार में बताया, इस तरह की भूमिका करने के लिए आपको उस किरदार की व्याख्या करनी पड़ती है, क्योंकि आप किसी का रूप धारण करना या फिर उसकी नकल करना नहीं चाहते। आपको खुद को वह किरदार बनना पड़ता है और इसके लिए आप खुद वह इंसान बनने लगते हैं। मैंने इसी पक्ष पर ध्यान दिया। इस बड़े प्रोजेक्ट पर काम करते हुए फरहान ने ‘फ्लाइंग सिंह’ से मुलाकात की और उन्हें काफी करीब से समझा।
फरहान ने कहा, मेरी उनसे कुछ मुलाकातें हुईं, जिनमें मैंने उन्हें उनके जीवन के बारे में बताते हुए सिर्फ सुना। मैंने उनसे कोई विशेष सवाल नहीं किए। किसी को जब आप उसके जीवन के बारे में बात करते हुए सुनते हैं तो आप जान पाते हैं कि किस तरह उनकी आंखें भर आती हैं, उनकी मुस्कान कितनी बड़ी है और किसी से बातचीत करते हुए उनकी भावभंगिमाएं कितनी सहज रहती हैं। इस तरह आप चीजें चुनते हैं और अभिनय के दौरान उन पर गौर करते हैं।
फरहान ने कहा, इस किरदार को करना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इसे मुश्किल या आसान कहना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि जब आप किसी चीज को लेकर रोमांचित होते हैं तो फिर चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो, वह आसान और मजेदार लगता है। मिल्खा जी का किरदार निभाना एक बड़ी जिम्मेदारी थी। इस फिल्म के लिए फरहान ने लंबे बालों और दाढ़ी रखने के अलावा एथलीटों जैसा सुगठित शरीर बनाया है।
उन्होंने लगातार दो सालों तक पूरे समर्पण से उन्हीं फिटनेस के तरीकों का पालन किया, जिनका पालन एथलीट करते हैं। वे खिलाड़ियों को कराए जाने वाले कई प्रशिक्षण सत्रों में भी शामिल हुए।
अभिनेता और फिल्मकार फरहान ने कहा कि जिस समय मिल्खा सिंह इस फिल्म को देखेंगे तब उन्हें काफी गर्व महसूस होगा क्योंकि इस फिल्म में सिंह की विचारधारा का पूरी तरह पालन किया है। इस विचारधारा का सार खुद को हर मुश्किल के खिलाफ लगाकर एक बेहतर स्तर हासिल करना है।
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