फिल्म दृश्यम का एक पोस्टर
मुंबई:
कमाल की थ्रिलर फ़िल्म है 'दृश्यम' जिसका निर्देशन किया है निशिकांत कामत ने और फ़िल्म में मुख्य भुमिकाएं निभाई हैं अजय देवगन, श्रेया सरन, रजत कपूर और तब्बू ने। फ़िल्म मलयालम और तमिल में पहले ही बन चुकी है और अब ये हिंदी दर्शकों के सामने है।
फ़िल्म में विजय यानी अजय देवगन एक केबल नेटवर्क चलाते हैं और उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां हैं। अजय की पत्नी का क़िरदार निभाया है श्रेया सरन ने। विजय अपने परिवार के साथ ख़ुश दिखता है कि अचानक उसके परिवार के साथ एक ऐसी घटना घटती है कि इनकी ज़िंदगी उलट पुलट हो जाती है। इस बीच विजय का सामना होता है आईजी मीरा यानी तब्बू से। आगे की कहानी के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी।
बात फ़िल्म की ख़ामियों और खूबियों की।
फ़िल्म का पहला भाग थोड़ा ढीला है। फ़र्स्ट हाफ़ का काफ़ी वक्त क़िरदारों को जमाने में और कहानी को पर्दे पर रचने में चला जाता है। हालांकि स्क्रीनप्ले ढीला नहीं है, पर हां, इमोशन्स अगर उभर कर पहले भाग में दिखते तो फ़िल्म का पहला भाग भी दिल में उतरता। फ़िल्म के गानों की लिखाई अच्छी है पर ज़ुबान पर नहीं टिकते। अजय देवगन को इससे पहले लोगों ने एक्शन और कॉमेडी के जिन अवतारों में देखा है वो ये सोचकर जाएं इस फ़िल्म में अजय उस अवतार में दिखेंगे जैसे लोगों ने उन्हें 'ज़ख्म' या 'हम दिल दे चुके सनम' में देखा है।
'दृश्यम' एक ऐसी कहानी है जो आपको अपने साथ रखेगी। इसमें ज़बरदस्त थ्रिल है। दूसरे भाग में फ़िल्म दर्शकों को जज़्बाती सफ़र पर ले जाती है। यहां ऐसे ट्विस्ट और टर्न्स हैं जो आपको हैरान करेंगे। कई बार फ़िल्मों की कहानी की परतें पहले ही खुल जाती हैं पर 'दृश्यम' से ऐसी शिकायत आपको हरगिज़ नहीं होगी।
अजय और तब्बू जहां अपने बेहतरीन अभिनय के साथ कहानी का मज़बूत हिस्सा दिखे वहीं बाक़ियों ने भी अपने-अपने क़िरदारों के साथ न्याय किया है। अजय ने अपने क़िरदार की हर परत को बड़ी बारीकी से खेला है। रजत कपूर भी पर्दे पर अच्छे हैं। कमलेश सावंत इंस्पेक्टर के क़िरदार में कमाल का अभिनय करते हैं। फ़िल्म के दूसरे भाग में थ्रिल है कसा हुआ स्क्रीनप्ले है। मेरी ओर से फ़िल्म को 3.5 स्टार्स।
फ़िल्म में विजय यानी अजय देवगन एक केबल नेटवर्क चलाते हैं और उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां हैं। अजय की पत्नी का क़िरदार निभाया है श्रेया सरन ने। विजय अपने परिवार के साथ ख़ुश दिखता है कि अचानक उसके परिवार के साथ एक ऐसी घटना घटती है कि इनकी ज़िंदगी उलट पुलट हो जाती है। इस बीच विजय का सामना होता है आईजी मीरा यानी तब्बू से। आगे की कहानी के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी।
बात फ़िल्म की ख़ामियों और खूबियों की।
फ़िल्म का पहला भाग थोड़ा ढीला है। फ़र्स्ट हाफ़ का काफ़ी वक्त क़िरदारों को जमाने में और कहानी को पर्दे पर रचने में चला जाता है। हालांकि स्क्रीनप्ले ढीला नहीं है, पर हां, इमोशन्स अगर उभर कर पहले भाग में दिखते तो फ़िल्म का पहला भाग भी दिल में उतरता। फ़िल्म के गानों की लिखाई अच्छी है पर ज़ुबान पर नहीं टिकते। अजय देवगन को इससे पहले लोगों ने एक्शन और कॉमेडी के जिन अवतारों में देखा है वो ये सोचकर जाएं इस फ़िल्म में अजय उस अवतार में दिखेंगे जैसे लोगों ने उन्हें 'ज़ख्म' या 'हम दिल दे चुके सनम' में देखा है।
'दृश्यम' एक ऐसी कहानी है जो आपको अपने साथ रखेगी। इसमें ज़बरदस्त थ्रिल है। दूसरे भाग में फ़िल्म दर्शकों को जज़्बाती सफ़र पर ले जाती है। यहां ऐसे ट्विस्ट और टर्न्स हैं जो आपको हैरान करेंगे। कई बार फ़िल्मों की कहानी की परतें पहले ही खुल जाती हैं पर 'दृश्यम' से ऐसी शिकायत आपको हरगिज़ नहीं होगी।
अजय और तब्बू जहां अपने बेहतरीन अभिनय के साथ कहानी का मज़बूत हिस्सा दिखे वहीं बाक़ियों ने भी अपने-अपने क़िरदारों के साथ न्याय किया है। अजय ने अपने क़िरदार की हर परत को बड़ी बारीकी से खेला है। रजत कपूर भी पर्दे पर अच्छे हैं। कमलेश सावंत इंस्पेक्टर के क़िरदार में कमाल का अभिनय करते हैं। फ़िल्म के दूसरे भाग में थ्रिल है कसा हुआ स्क्रीनप्ले है। मेरी ओर से फ़िल्म को 3.5 स्टार्स।
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