इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) के हक़ में दिल्ली हाइकोर्ट का फैसला

इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) के हक़ में दिल्ली हाइकोर्ट का फैसला

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

लेखकों, संगीतकारों और प्रकाशकों के हितों और उनके अधिकारों की रक्षा करने के मकसद से संस्थापित कंपनी द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) को एक बड़ी कामयाबी मिली है। द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड ने विज़क्राफ्ट नौटंकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और "ही सेड शी सेड क्लब" के विरुद्ध दो आदेश पाए हैं।

उल्लेखनीय है कि द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) की स्थापना 1961 में हुई थी और यह कंपनी 1956 के कंपनीज़ एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है जिसका उद्देश्य यह है कि यह अपने सदस्यों के हितों और उनके हक़ के लिए काम करती है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेस्टोरेंट/क्लब "ही सेड शी सेड" और इसके निर्देशकों, अधिकारियों, नौकरों, एजेंट्स और प्रतिनिधियों के खिलाफ एकपक्षीय आदेश दिया है। अदालत ने यह फैसला सुनाया है कि यह होटल/क्लब अपने रेस्टोरेंट के अंदर द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) से लाइसेन्स लिए बिना कोई भी म्यूजिकल परफॉर्मेंस का आयोजन नहीं कर सकता। 25 दिसंबर 2015 से 31 दिसंबर 2015 के दौरान जो भी क्रिसमस और नए वर्ष के प्रोग्राम होते हैं, वे भी इसमें शामिल हैं। अदालत ने इस क्लब पर पाबन्दी लगा दी है कि द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार के इवेंट का आयोजन नहीं किया जा सकता।

22 दिसंबर 2015 का आदेश बहुत अहम है क्योंकि इसमें आईपीआरएस को अधिकारों का मालिक करार दिया गया है। जस्टिस एसजे कथावाला ने एकपक्षीय आदेश जारी किया। जिसका अर्थ यह है कि एक रजिस्टर्ड कॉपीराइट सोसाइटी की मौजूदगी के बावजूद एक लेखक/ओनर इसका हिस्सा न बनने के लिए भी स्वतंत्र है और वह हमेशा स्वतंत्र रूप से भी अपने काम/राइट्स के लाइसेंस ले सकता है।

इस प्रकार देखा जाए तो कॉपीराइट्स के मालिक के पास म्यूजिकल राइट्स के मामले में लाइसेंस जारी करने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) के पास यह अधिकार है कि उसके पास जिस म्यूजिकल काम के राइट्स हैं उसके पब्लिक के बीच परफॉर्मेंस के मामले में वह लाइसेंस जारी कर सकता है और उस पब्लिक परफॉर्मेंस की रॉयल्टी / लाइसेंस फीस भी मांग सकता है। अगर कोई द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) की इजाज़त के बिना परफॉमेंस करता या कराता है तो यह कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 51 का उल्लंघन होगा। इसके साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि लोकल पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) के एक प्रतिनिधि के साथ उस होटल में जाएं और इस आदेश की एक कॉपी उन्हें दें और इस ऑर्डर की सूचना दे दें।

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23 दिसंबर 2015 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी म्यूजिकल कामो अधिकारों के मालिक के रूप में द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस ) को स्वीकारा है। जहाँ द इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) ने ग्रेट इंडियन नौटंकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड  (जो "किंगडम ऑफ़ ड्रीम्स"पहले थी) के खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन एक मामला दर्ज कराया था। जहां जस्टिस ए के पाठक ने ग्रेट इंडियन नौटंकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के वकील को आदेश दिया कि वह हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास 15 लाख रुपए जमा कराएं इसके बाद ही म्यूजिकल प्रोग्राम का आयोजन कर सकते हैं।