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This Article is From Sep 19, 2014

मनोरंजक फिल्म है दावत-ए-इश्क

मुंबई:

इस शुक्रवार रिलीज हुई है यशराज बैनर की दावत−ए इश्क। फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं परिणीति चोपड़ा, आदित्य रॉय कपूर, अनुपम खेर और करण वाही। फिल्म के निर्देशक हैं हबीब फैजल। 'इश्कजादे' के बाद यह हबीब की दूसरी फिल्म है।

फिल्म में परिणीति चोपड़ा के किरदार का नाम है गुलरेज कादिर, उनके पिता बने हैं अनुपम खेर। ये दोनों हैदराबाद में रहते हैं और परिणीति के पिता बेहद परेशान हैं, क्योंकि उनकी बेटी गुलरेज की शादी नहीं हो पा रही।

हर लड़का उनसे दहेज में बड़ी रकम की मांग करता है और फिर वह यह फैसला लेते हैं कि दहेज के लालचियों को वह सबक सिखाएंगे। इसके बाद शुरू होती है शिकार की तलाश और शिकार बनता है तारिक हैदरी, जो लखनऊ में मशहूर रेस्टॉरेंट चलाता है, लेकिन गुलरेज़ के मनसूबे पूरे होंगे कि नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

तो इस 'दावत-ए-इश्क' को चखने के बाद ही आपको पता चलेगा कि स्वाद कैसा है। मैं चख चुका हूं और आपको अब बताऊंगा कि इसका स्वाद कैसा है। यानी बात फिल्म की खूबियों और खामियों की। प्रोमो देखकर इस फिल्म को तर्क के साथ देखने की जरूरत महसूस हुई थी, पर कहानी में कुछ सीन्स ने मेरा हाजमा खराब कर दिया।

मसलन अनुपम खेर का किरदार, फिल्म में वह एक लाचार पिता बने हैं, जो डरे सहमे नजर आते हैं पर साथ ही वह कानून के रखवालों के साथ काम भी करते हैं। फिल्म में इनका हृदय परिवर्तन एक कानून तोड़ने वाले के रूप में गले से नहीं उतरता। साथ ही क्लाइमैक्स और तारिक के किरदार के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है, जो भले ही फिल्म के लिए जरूरी हो पर तर्क के साथ दिखाना जरूरी था।

वहीं हबीब फैसल के निर्देशक में बनी 'इश्कजादे' में जो नक्काशी नजर आई थी उसकी दावत−ए इश्क में थोड़ी कमी दिखी। यहां बॉलीवुड के फार्मुला की ओर निर्देशक थोड़ा झुकते नजर आए। फिल्म का स्क्रीनप्ले कहीं−कहीं ढीला लगता है। अच्छी बात यह रही कि आदित्य अनुपम और परिणीति अपने-अपने अभिनय से फिल्म को संभालते दिखते हैं।

आदित्य का काम मुझे काफी अच्छा लगा, खासतौर से उनका गेटअप। परिणीति भी फिल्म में अच्छी हैं पर अब शायद अपने किरदार के साथ उनको और प्रयोग करने की जरूरत है। फिल्म के गाने शायद आपको पसंद आएं।

यह फिल्म दहेज जैसे गंभीर विषय पर बनी है और अच्छी बात यह है कि फिल्म एक संदेश देती है कि दहेज प्रथा की शिकार लड़कियां होती तो हैं पर कई बार इसके लिए बनाए क़ानून में बेगुनाह भी फंसते हैं। मेरी ओर से फिल्म को तीन स्टार...

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