केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म के निर्माता प्रकाश झा को एक पत्र भेजा है जिसमें फिल्म को प्रमाणित नहीं किए जाने का कारण लिखा है, "फिल्म की कहानी महिला केंद्रित है और उनकी जीवन से परे फैंटेसियों पर आधारित है. इसमें यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो हैं. यह फिल्म समाज के एक विशेष तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है. इसलिए फिल्म को प्रमाणीकरण के लिए अस्वीकृत किया जाता है."
फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने पर बॉलीवुड के कई कलाकारों ने इसकी निंदा की है. रेणुका शहाणे ने ट्वीट किया, "एक अवॉर्ड विनिंग फिल्म को बेवजह सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया."
"Lipstick Under My Burkha",an award winning film directed by Alankrita Shrivastav refused a Certificate for these unfathomable reasons pic.twitter.com/QZwi3yhTCn
— Renuka Shahane (@renukash) February 23, 2017
फिल्म के कलाकार शशांक अरोड़ा ने लिखा, "सेंसर बोर्ड आपने तीसरी बार मेरे काम से खिलवाड़ किया है. क्या इसे ही आप फ्रीडम ऑफ स्पीच कहते हैं?"
This is the third time you are messing with my job dear censor board. What freedom of speech do you go on about? https://t.co/jpgMg8AaKw
— Shashank Arora (@ShashankSArora) February 23, 2017
मसान के निर्देशक नीरज घेवान ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले को बैन करार दिया है.
Privileged men have an issue with sexually liberated women.
— Neeraj Ghaywan (@ghaywan) February 23, 2017
'Cannot be issued' is a ban. Let's call it that.https://t.co/zvndPtPOzI
ऐशु नाम की एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "भारतीय सेंसर बोर्ड को मुझे ही बैन कर देना चाहिए, क्योंकि एक महिला होने के नाते मेरा पूरा अस्तित्व ही महिला केंद्रित है."
The indian censor board should just ban me. Because as a female human, my entire existence is "female oriented". #lipstickundermyburkha
— Aishu (@Aice_woman) February 23, 2017
फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले को 'महिलाओं के अधिकार' पर हमला बताया है. फिल्म एक छोटे से शहर की चार महिलाओं की कहानी है जो आजादी की तलाश में हैं. जो खुद को समाज के बंधनों से मुक्त करना चाहती हैं.
(इनपुट आईएएनएस से)
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