
बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी किया है. इसमें फिल्म “अजेय: अ योगी की अनकही कहानी” को सर्टिफिकेट देने में देरी की वजह पूछी गई है. यह सवाल आर्टिकल 226 के तहत दायर की गई एक याचिका के बाद पूछा गया है. इसमें फिल्म को बेवजह लटकाने को लेकर सवाल किए गए थे. बता दें कि यह फिल्म 2017 में छपी और रिलीज हुई किताब “द मॉन्क हू बिकैम चीफ मिनिस्टर” से इंस्पायर्ड है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जरूरी दस्तावेज समय पर सीबीएफसी को जमा कर दिए गए थे. उन्होंने जून 2025 की शुरुआत से फिल्म, इसके ट्रेलर, टीजर और प्रमोशनल गाने के लिए कई सर्टिफिकेशन एप्लिकेशन फाइल की थीं लेकिन सीबीएफसी पर कार्रवाई ना करने और प्रोसीजर को फॉलो ना करने का आरोप लगाया था.
फिल्म की 1 अगस्त 2025 को देशभर में रिलीज किए जाने की प्लानिंग है लेकिन सीबीएफसी ने अभी तक एप्लिकेशन पर न तो प्रोसेस शुरू की और न ही कोई जवाब दिया, जिससे रिलीज डेट मुश्किल में घिरती नजर आ रही है.
#Bombay High Court issues notice to CBFC in a petition alleging arbitrary delay in certifying the film 'Ajey: The Untold Story of a Yogi' , inspired by the book 'The Monk Who Became Chief Minister' purportedly based on UP CM Yogi Adityanath's life.#BombayHC… pic.twitter.com/bbMmhHcgic
— Bar and Bench (@barandbench) July 15, 2025
याचिका में कहा गया है कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 और नए सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 के तहत सीबीएफसी को एप्लिकेशन पर तय टाइम लिमिट के अंदर ही कार्रवाई करनी चाहिए. हालांकि बोर्ड ने ऐसा नहीं किया.
लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोर्ट आरोपों में दम पाता है तो यह सीबीएफसी को दी गई शक्तियों पर दोबारा विचार कर सकता है और इन डायरेक्ट सेंसरशिप के खिलाफ संवैधानिक सुरक्षा को मजबूत कर सकता है.
कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने सेंसर बोर्ड के इस रवैये पर गंभीर रूपर से ध्यान देते हुए सीबीएफसी को दो दिन के अंदर अपने अधिवक्ता के जरिए पेश होने का नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई में सीबीएफसी की शक्तियों की सीमा पर बातचीत हो सकती है.
फिल्म मेकर्स ने जारी किया बयान
सम्राट सिनेमैटिक्स के बयान के अनुसार, "कंपनी ने अपनी फिल्म को सर्टिफिकेट के लिए सीबीएफसी के पास जमा कर दिया था, जिसे 1 अगस्त, 2025 को रिलीज किया जाना है. हालांकि सीबीएफसी ने बिना कोई कानूनी कारण बताए अभी तक फिल्म की स्क्रीनिंग फिक्स नहीं की है. इसके चलते पीड़ित कंपनी ने माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और सीबीएफसी को फिल्म की तुरंत स्क्रीनिंग और बिना किसी देरी के जरूरी सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश देने की मांग की है."
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