विज्ञापन
This Article is From Dec 18, 2015

'बाजीराव मस्तानी' : कमाल के दृश्य, भव्य सेट, कहानी गुम

'बाजीराव मस्तानी' : कमाल के दृश्य, भव्य सेट, कहानी गुम
बाजीराव मस्तानी के दृश्य से ली गई तस्वीर...
मुंबई: 'बाजीराव मस्तानी' फिल्म संजय लीला भंसाली का 12 साल पुराना सपना है, जो आखिरकार इस शुक्रवार दर्शकों के सामने आया और उनके इस सपने में रंग भरे हैं, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, मिलिंद सोमन, महेश मांजरेकर और तनवी आजमी ने।

संजय इस फिल्म को सलमान-ऐश्वर्या के साथ बनाना चाहते थे
संगीत निर्देशन और निर्देशन की कमान संभाली है खुद संजय लीला भंसाली ने और फिल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी की है, सुदीप चटर्जी ने। 'बाजीराव-मस्तानी' मराठा इतिहास का वह पन्ना है, जिसे मराठी लेखक एनएस इनामदार ने उपन्यास के रूप में ढाला, जिसका नाम था 'राऊ'। संजय यह फिल्म सलमान ख़ान और एश्वर्या राय के साथ बनाना चाहते थे।

कमाल के दृश्य और भव्य सेट
संजय अपने क्राफ्ट के लिए मशहूर हैं और खासतौर पर जब बात आती है सेट, कॉस्टयूम, लाइटिंग और संगीत की तो हर बार आपको उनसे नई उम्मीदें होती हैं और वे उन पर खरे भी उतरते हैं और ऐसा ही होता है बाजीराव के साथ भी।

कमाल के दृश्य, भव्य सेट, बारीकी से की गई कॉस्टयूम डिजाइनिंग, बेहतरीन संगीत और काबिल-ए-तारीफ डांस, फिल्म की भव्यता देखते ही बनती है। अक्सर संजय अपनी फिल्मों में रंगों से खेलते हैं पर इस फिल्म में संजय ने ज्यादा भड़कीले रंग इस्तेमाल न करके एक जैसे रंगों का इस्तेमाल किया है, जो फिल्म को एक फील देता है और अच्छा लगता है। युद्ध के दृश्यों की बात करें तो इस मामले में मुझे या तो पृथ्वी राज कपूर की सिकंदर या बाहुबली ने प्रभावित किया और कुछ हद तक अब बाजीराव ने। इसमें कोई दोराय नहीं कि फिल्म में रणवीर की मेहनत साफ नजर आती है और उनका अभिनय देखकर आप उनकी तारीफ किए बिना नहीं रहते, पर मुझे लगता है कि वह थोड़ा-सा कहीं अपने डील-डौल के मामले में मात खाते हैं। दीपिका और प्रियंका अपने किरदार में सटीक हैं और दोनों का ही काम बहुत खूबसूरत है फिर बात चाहे उनके अभिनय की हो या फिर डांस की।

चमक-धमक में कहानी की आत्मा मरी
वैसे एक बात मैं हमेशा कहता हूं कि अक्सर चमक-धमक में कभी-कभी फिल्म की कहानी की आत्मा कहीं खो जाती है। ऐसा ही कुछ मुझे महसूस हुआ इस फिल्म के साथ, जहां 'बाजीराव मस्तानी' की प्रेम कहानी आपके दिल में नहीं उतर पाती। इनकी प्रेम कहानी की गहराई पर्दे पर नहीं उतर पाती और जिसकी वजह से दर्शक उसे महसूस नहीं कर पाते। उसमें कमी कहीं न कहीं स्किप्ट और स्क्रीनप्ले की है, इसके अलावा दीपिका का किरदार जिसकी मां मुस्लिम है और पिता हिन्दू और जो नमाज़ भी पढ़ती है तो ऐसे किरदार के तलफ़्फ़ुज़ की ओर और गौर करने की जरूरत थी। तो कुल मिलाकर मैं कहूंगा यह फिल्म आपको देखनी चाहिए, लेकिन मेरी तरफ से इस फिल्म को 3.5 स्टार्स।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com