Kolkata:
अभिनेता अनुपम खेर का मानना है कि अब तक की किसी भी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। खेर खुद भी कश्मीरी पंडित हैं। उन्होंने कहा, कोई भी उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेता। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि कश्मीरी पंडित हो-हल्ला मचाने वाले लोग नहीं हैं। वे जम्मू में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। सरकार-दर-सरकार बनी, लेकिन इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया। एपीजे कोलकाता साहित्य उत्सव में भाग लेने शहर आए खेर ने इस मुद्दे को राजनीतिक एजेंडे का एक हिस्सा बताया। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित इस अभिनेता ने 1984 में अपनी पहली फिल्म सारांश में एक सेवानिवृत्त व्यक्ति का किरदार अदा कर काफी प्रशंसा बटोरी थी। उन्होंने पिछले वर्ष संजय दत्त अभिनीत फिल्म लम्हा में भी अभिनय किया था, जो कश्मीर में अलगाववाद की समस्या पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि फिल्में देश के नागरिकों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाती हैं। 55 वर्षीय अभिनेता ने कहा, मेरे विचार से हम अभिनेता इस देश को एकजुट रखे हुए हैं, क्योंकि हर कोई हमारी फिल्मों को देखता है। जब आप विदेशों में रहते हैं, तो फिल्में आपके लिए दूत का काम करती हैं।
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