कपूर एंड सन्स फिल्म का एक दृश्य
मुंबई:
आमतौर पर जब भी किसी फ़िल्म या उसके प्रोमो से पता चलता है कि उस फ़िल्म में पाकिस्तान की गलत छवि दिखाई दी हो सकती है, उस फ़िल्म पर पाकिस्तान में प्रतिबंध लगा दिया जाता है और उसे पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं किया जाता। मगर, इसका असर दर्शकों पर नहीं पड़ता। पाकिस्तान के दर्शक किसी भी तरह उस फ़िल्म को देख लेते हैं।
पाकिस्तान के अभिनेता फ़वाद खान कहते हैं कि 'हर वह हिंदी फिल्म पाकिस्तानी देख लेते हैं जिसे पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं होने दी जाती है। आजकल सिनेमा हॉल के अलावा और भी ऐसे ज़रिये हैं जिसके ज़रिये फ़िल्म पाकिस्तान तक पहुंच जाती है और वहां के दर्शक इस फिल्म को देख लेते हैं। करीब करीब ऐसी सभी प्रतिबंधित हिंदी फिल्मों की डीवीडी पहुंच जाती है"।
फ़वाद ने आगे कहा, "पाकिस्तान में क्यों प्रतिबंध लगाया जाता है, इस पर मैं कोई बात नहीं करूंगा या इसकी वजह मैं नहीं जानता लेकिन इतना कह सकता हूं कि फ़िल्म की रिलीज़ पर बैन लगाकर कोई फ़ायदा नहीं होता क्योंकि किसी न किसी और माध्यम से वो फिल्में पाकिस्तान में प्रवेश कर ही जाती हैं। ऐसे प्रतिबंध से प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर का नुकसान होता है और इसमें दोनों ही देशों का नुकसान है।''
पाकिस्तान के अभिनेता फ़वाद खान कहते हैं कि 'हर वह हिंदी फिल्म पाकिस्तानी देख लेते हैं जिसे पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं होने दी जाती है। आजकल सिनेमा हॉल के अलावा और भी ऐसे ज़रिये हैं जिसके ज़रिये फ़िल्म पाकिस्तान तक पहुंच जाती है और वहां के दर्शक इस फिल्म को देख लेते हैं। करीब करीब ऐसी सभी प्रतिबंधित हिंदी फिल्मों की डीवीडी पहुंच जाती है"।
फ़वाद ने आगे कहा, "पाकिस्तान में क्यों प्रतिबंध लगाया जाता है, इस पर मैं कोई बात नहीं करूंगा या इसकी वजह मैं नहीं जानता लेकिन इतना कह सकता हूं कि फ़िल्म की रिलीज़ पर बैन लगाकर कोई फ़ायदा नहीं होता क्योंकि किसी न किसी और माध्यम से वो फिल्में पाकिस्तान में प्रवेश कर ही जाती हैं। ऐसे प्रतिबंध से प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर का नुकसान होता है और इसमें दोनों ही देशों का नुकसान है।''
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