नई दिल्ली:
जाने-माने अभिनेता प्राण को वर्ष 2012 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा शुक्रवार को की गई। खलनायक के चरित्र को बॉलीवुड में स्थापित करने वाले प्रख्यात अभिनेता प्राण दादा साहब फाल्के पुरस्कार जीतने वाले 44वें कलाकार हैं। उनका पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद है। प्राण इस साल फरवरी में 93 वर्ष के हो गए।
केंद्र सरकार यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए देती हैं। इसके तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये की नकद राशि और एक शॉल दिया जाता है।
बॉलीवुड में एक समय 'मधुमती', 'जिद्दी' और 'राम और श्याम' जैसी फिल्मों में खलनायक का जोरदार किरदार निभाने की वजह से वह पर्दे पर घृणा के पात्र के प्रतीक बन गए।
वह एक समय जहां खलनायक के किरदार का प्रतीक माने जाने लगे, वहीं उन्होंने चरित्र अभिनेता के रूप में भी अपनी जबर्दस्त छाप छोड़ी। फिल्म 'उपकार' में उनके मलंग चाचा के किरदार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी तरह 'जंजीर' कठोर लेकिन दयालु पठान के रूप आज भी लोग उन्हें भुला नहीं पाए हैं। उन्होंने नायक, खलनायक से लेकर चरित्र अभिनेता तक का किरदार निभाया।
50 और 60 के दशक में प्राण ने दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर जैसे अभिनेताओं के साथ फिल्में कीं। इन फिल्मों में आजाद, मधुमती, देवदास, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आदमी, जिद्दी, मुनीम जी, अमरदीप, जब प्यार किसी से होता है, चोरी-चोरी, जागते रहो, छलिया, जिस देश में गंगा बहती है और उपकार प्रमुख हैं।
1920 में दिल्ली में जन्मे प्राण ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1940 में की थी। शुरुआत में उन्होंने फोटोग्राफी को अपना पेशा बनाया था लेकिन एक फिल्म निर्माता से अचानक हुई मुलाकात जरिए उन्हें पहली फिल्म मिली थी 'यमला जट'। वह अविभाजित भारत में लाहौर में अभिनय किया करते थे। बाद में मुंबई आ गए।
जाने-माने लेखक सादत हसन मंटो और अभिनेता श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे। प्राण को 'जिद्दी' फिल्म से प्रसिद्धि मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके प्राण ने अपनी सभी फिल्मों में अपने अभिनय के बूते दर्शकों को बांधे रखा। प्राण पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
प्राण की प्रमुख फिल्मों में 'छलिया', 'जिस देश में गंगा बहती है', 'कश्मीर की कली', 'दो बदन', 'जानी मेरा नाम', 'गुड्डी', 'परिचय', 'विक्टोरिया नंबर 203', 'जंजीर', 'बॉबी', 'अमर अकबर एंथनी', 'डॉन', 'शराबी' आदि शामिल हैं।
केंद्र सरकार यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए देती हैं। इसके तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये की नकद राशि और एक शॉल दिया जाता है।
बॉलीवुड में एक समय 'मधुमती', 'जिद्दी' और 'राम और श्याम' जैसी फिल्मों में खलनायक का जोरदार किरदार निभाने की वजह से वह पर्दे पर घृणा के पात्र के प्रतीक बन गए।
वह एक समय जहां खलनायक के किरदार का प्रतीक माने जाने लगे, वहीं उन्होंने चरित्र अभिनेता के रूप में भी अपनी जबर्दस्त छाप छोड़ी। फिल्म 'उपकार' में उनके मलंग चाचा के किरदार ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी तरह 'जंजीर' कठोर लेकिन दयालु पठान के रूप आज भी लोग उन्हें भुला नहीं पाए हैं। उन्होंने नायक, खलनायक से लेकर चरित्र अभिनेता तक का किरदार निभाया।
50 और 60 के दशक में प्राण ने दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर जैसे अभिनेताओं के साथ फिल्में कीं। इन फिल्मों में आजाद, मधुमती, देवदास, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आदमी, जिद्दी, मुनीम जी, अमरदीप, जब प्यार किसी से होता है, चोरी-चोरी, जागते रहो, छलिया, जिस देश में गंगा बहती है और उपकार प्रमुख हैं।
1920 में दिल्ली में जन्मे प्राण ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1940 में की थी। शुरुआत में उन्होंने फोटोग्राफी को अपना पेशा बनाया था लेकिन एक फिल्म निर्माता से अचानक हुई मुलाकात जरिए उन्हें पहली फिल्म मिली थी 'यमला जट'। वह अविभाजित भारत में लाहौर में अभिनय किया करते थे। बाद में मुंबई आ गए।
जाने-माने लेखक सादत हसन मंटो और अभिनेता श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'जिद्दी' में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे। प्राण को 'जिद्दी' फिल्म से प्रसिद्धि मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके प्राण ने अपनी सभी फिल्मों में अपने अभिनय के बूते दर्शकों को बांधे रखा। प्राण पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
प्राण की प्रमुख फिल्मों में 'छलिया', 'जिस देश में गंगा बहती है', 'कश्मीर की कली', 'दो बदन', 'जानी मेरा नाम', 'गुड्डी', 'परिचय', 'विक्टोरिया नंबर 203', 'जंजीर', 'बॉबी', 'अमर अकबर एंथनी', 'डॉन', 'शराबी' आदि शामिल हैं।
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