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छात्र खुदकुशी पर सियासत तेज, वीसी बोले- 'छात्रों पर कार्रवाई के लिए केंद्र से दबाव नहीं था'

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हैदराबाद:

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अप्पा राव का कहना है कि छात्रों पर कार्रवाई के लिए उन पर केंद्र की ओर से कोई दबाव नहीं बनाया गया था। न ही कार्रवाई के लिए मंत्रालय की ओर से आई चिट्ठी का उन्होंने जवाब ही दिया।

10 खास बातें

  1. हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमूला की खुदकुशी के मामले में हैदराबाद से लेकर दिल्ली और मुंबई तक विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
  2. कई छात्र संगठन केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं इस मामले पर अब राजनीति भी तेज हो गई है।
  3. NDTV की बरखा दत्त से बातचीत में वीसी अप्पा राव ने कहा, कोर्ट लगातार यूनिवर्सिटी से जवाब मांग रहा था, जिसके बाद दबाव में आकर हमने यह फैसला लिया और इस फैसले से पहले यूनिवर्सिटी के डीन और दलित फ़ैकल्टीज की राय ली गई थी।
  4. अलग-अलग पार्टियों के नेताओं का हैदराबाद जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। मंगलवार को राहुल गांधी और टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन पहुंचे थे। राहुल गांधी ने सोमवार को छात्रों से मिलकर कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
  5. आज आम आदमी पार्टी के नेता आशीष खेतान और अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सलाहकार आशीष तलवार हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्रों से मिलेंगे। सीपीएम के सीताराम येचुरी और वाईएसआर प्रमुख जगन रेड्डी भी आज यूनिवर्सिटी जाएंगे।
  6. साथ ही उनकी फ़ेलोशिप भी रोक दी गई थी।रोहित ने रविवार की रात को आत्महत्या कर ली थी। वह उन पांच शोध छात्रों में शामिल था, जिन्हें पिछले साल अगस्त में यूनिवर्सिटी ने निलंबित कर दिया था,
  7. आरोप है कि दो केंद्रीय मंत्रियों स्‍मृति ईरानी और बंडारू दत्‍तात्रेय के दबाव के बाद छात्रों पर कार्रवाई की गई। उन्हें सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया।
  8. दलित छात्र की खुदकुशी के मामले में राजनीतिक मोड़ तब आया जब केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ पुलिस केस रजिस्टर कर लिया गया। उनके द्वारा अगस्त में लिखे एक लेटर के चलते आत्महत्या के लिए भड़काने का आरोप लगा।
  9. पिछले साल 17 अगस्त को लिखे लेटर में, दत्तात्रेय ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय एबीवीपी के एक कार्यकर्ता पर हमले को 'खामोशी से देखता रहा'।
  10. लेटर में यूनिवर्सिटी को 'अतिवादियों, जातिवादियों और राष्ट्रविरोधी राजनीति' का गढ़ तक कहा गया। हालांकि यूनिवर्सिटी द्वारा एक जांच समिति ने रोहित समेत सभी को प्राथमिक जांच में निर्दोष करार दिया था। लेकिन बाद में यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला पलट दिया था।

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