समूचे महाराष्ट्र में पिछले तीन दिन से दलितों और सवर्णों (मुख्यतः मराठा) के बीच जारी तनाव बुधवार को भी बरकरार रहा, और दलितों के अलग-अलग समूहों और पार्टियों द्वारा आहूत किए गए राज्य बंद के चलते राजधानी मुंबई में भी काफी तनावपूर्ण माहौल बना रहा. हालांकि बुधवार देर शाम दलित नेता और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद वापस लेने का किया ऐलान किया. कथित रूप से दलितों की पार्टियों के समर्थकों ने मुंबई और आसपास के इलाकों में ट्रेनों, मेट्रो और बसों को रोकने की कोशिश की, और राजधानी से सटे विखरोली इलाके में कारों के एक शोरूम पर हमला भी किया. प्रदर्शनकारियों ने मुंबई के बांद्रा इलाके में दो मुख्य सड़कों को रोक दिया, दुकानों को जबरन बंद करवा दिया और वाहनों की आवाजाही को भी नहीं होने दिया. शहर के कई हिस्सों में ट्रैफिक जाम देखने को मिले. इसी सिलसिले में देश की राजधानी दिल्ली में भी विरोध प्रदर्शन किए जाने की ख़बरें हैं.
महाराष्ट्र हिंंसा की 10 बातें
- घाटकोपर पर लोकल ट्रेनों को रोका गया, जिसकी वजह से सेंट्रल हार्बर लाइन पर ट्रेनें देरी से चलीं. स्थानीय ट्रांसपोर्ट 'बेस्ट' की 13 बसों को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया.
- नागपुर, पुणे और बारामती में भी विरोध प्रदर्शन हुए, तथा कई जगहों से आगज़नी का समाचार मिला है. पुणे के निकट बसा बारामती, तथा दक्षिणी महाराष्ट्र के दो कस्बे सांगली और मिराज पूरी तरह बंद रहे. नागपुर में अधिकतर स्कूल और दुकानें बंद रहीं, तथा नगर के संवेदनशील इलाकों में हुए प्रदर्शनों की वजह से बस सेवा बाधित हुई.
- दिल्ली में विद्यार्थियों ने शहर में बने महाराष्ट्र सदन के बाहर प्रदर्शन किया.
- महाराष्ट्र बंद का आह्वान दलितों के मसीहा डॉ भीमराव अम्बेडकर के पौत्र प्रकाश अम्बेडकर ने किया था. मुंबई में सुरक्षा के लिए राज्य सरकार के 21,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
- मुंबई में दफ्तर खुले हैं, और स्कूल भी, लेकिन सुबह के वक्त स्कूली बच्चों को लाने वाली बसों के ऑपरेटरों ने सुरक्षा कारणों से बसें नहीं चलाईं. एयरलाइनों का कहना है कि वे उन यात्रियों से टिकट का दाम नहीं लेंगी, जो उड़ानों में सफर के लिए नहीं पहुंच पाएंगे.
- यह तनावपूर्ण माहौल सोमवार को शुरू हुआ था, जब लाखों दलितों ने पुणे से लगभग 30 किलोमीटर दूर बसे गांव भीमा-कोरेगांव में एकत्र होकर उस युद्ध की 200वीं वर्षगांठ मनाने का प्रयास किया, जिसमें दलित सैनिकों ने अंग्रेज़ों की ओर से लड़ते हुए सवर्ण शासकों, यानी पेशवाओं को परास्त कर दिया था.
- दलितों द्वारा भीमा-कोरेगांव युद्ध का जश्न मनाए जाने के दौरान ही हंगामा शुरू हुआ था. वहां एकत्र हुए दलितों तथा दक्षिणपंथी गुटों के बीच बहस शुरू हो गई, जो नियंत्रण से बाहर चली गई, और 28-वर्षीय एक मराठा युवक की मौत हो गई.
- दक्षिणपंथी गुटों का सवाल था कि अंग्रेज़ों की मराठाओं के खिलाफ जीत का जश्न क्यों मनाया जाना चाहिए, और यहां सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए उन्होंने हाल ही में विधायक बने गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी तथा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उमर खालिद को दोषी करार दिया.
- शांति की अपील करते हुए जिग्नेश मेवानी ने ट्वीट किया, "महाराष्ट्र सरकार को कानून एवं व्यवस्था को सुनिश्चित करना चाहिए... मैं महाराष्ट्र की जनता से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं..."
- पुलिस ने जानकारी दी कि मंगलवार को मुंबई में 100 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से अधिकतर दलित प्रदर्शनकारी थे. बुधवार को मुंबई के अहम उपनगर ठाणे में दफा 144, यानी निषेधाज्ञा लागू करनी पड़ी, जिसके तहत पांच से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध होता है. नारे लगाते हुए दलित प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोकने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया.