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33 मंजिल जितना ऊंचा, मुंबई में सबसे ऊंचा पुल करिश्मा है

मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे के इगतपुरी-कसारा खंड पर 260 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का सबसे ऊंचा पुल बनाया गया है. इस पुल को बनाने में 4 लाख से ज्यादा मजदूरों ने तीन साल से ज्यादा समय तक मेहनत की है. 

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फरवरी महीने में इस पुल को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. 
मुंबई:

मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे के इगतपुरी-कसारा खंड पर 260 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का सबसे ऊंचा पुल बनाया गया है. इस पुल को बनाने में 4 लाख से ज्यादा मजदूरों ने तीन साल से ज्यादा समय तक मेहनत की है. 

  1. चुनौतीपूर्ण रहा पुल बनाने का काम: 701 किलोमीटर लंबे मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे पर 72 अन्य पुल बमुश्किल से डेढ़ साल में बनाकर तैयार हो गए. लेकिन इगतपुरी-कसारा खंड में बना ये पुल चुनौतीपूर्ण रहा. 95 मीटर ऊंचा यानी करीब 32 मंजिला इमारत के बराबर ये पुल एक गहरी घाटी के ऊपर बनाया गया है.
  2. सबसे ऊंचा पुल: ये पुल महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा पुल है. जो कि 1.85 किलोमीटर लंबा है. ये पुल इस एक्सप्रेसवे पर दूसरा सबसे लंबा पुल है. ठाणे जिले के शाहपुर में बना 2.5 किलोमीटर लंबा पुल सबसे लंबा है. 
  3. कठोर चट्टान ने खड़ी की मुश्किलें: जिस क्षेत्र पर ये पुल बना है, वहां चट्टान कठोर थी. ऐसे में श्रमिकों को पुल के लिए 70 पियर्स की नींव बनाने में बेहद ही मेहनत करनी पड़ी. यहां बने कुछ पियर्स की नींव तो पांच मीटर तक गहरी रखी गई.
  4. आसानी से होगा सफर: ये पुल इगतपुरी में सबसे लंबी 7.7 किलोमीटर लंबी सुरंग से सिर्फ़ 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसकी मदद से वाहन चालकों को मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर इगतपुरी-कसारा क्षेत्र के खतरनाक घाटों से गुजरना नहीं पड़ेगा. 
  5. 15 मिनट में होगा सफर: TOI की खबर के अनुसार, पुल की मदद से इगतपुरी और कसारा में वशला के बीच 17 किलोमीटर की दूरी तय करने में 15 मिनट से भी कम समय लगेगा. बता दें कि मुंबई आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर इगतपुरी और वासला के बीच की दूरी लगभग 26 किलोमीटर है. जिसे पूरा करने में 45 मिनट से अधिक का समय लगता था. वहीं जाम मिलने की स्थिति में कई बार 2 घंटे तक का समय लग जाता था. 
  6. गहरी घाटी पर हुआ निर्माण: महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमएसआरडीसी) के एक अधिकारी ने कहा, "इसका निर्माण एक गहरी घाटी में किया गया था, जिसके नीचे एक जलधारा बह रही थी." निर्माण फर्म को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, भारी मिट्टी हटाने वाली मशीनें, क्रेन और अन्य निर्माण उपकरण को साइट पर ले जाना ही चुनौती थी. क्योंकि ढलान बहुत अधिक थी.
  7. बारिश के कारण हुई परेशानी: इगतपुरी-कसारा क्षेत्र में मॉनसून भी एक समस्या थी. बारिश होने पर निर्माण स्थल पूरी तरह से जलमग्न हो जाता था. मानसून के दौरान वाहनों और श्रमिकों की आवाजाही बाधित होती थी. श्रमिकों को अत्यंत सावधानी से काम करना पड़ा था. क्योंकि यह क्षेत्र तेंदुए जैसे जंगली जानवरों से भरा हुआ है.
  8. इस तकनीक से हुआ तैयार: इस बनाने के लिए कैंटिलीवर फॉर्म ट्रैवलर (सीएफटी) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इस तकनीक के तहत, उपकरण को एक बार में एक खंभे पर रखा जाता है और फिर अगले खंभे पर ले जाया जाता है. खंभों के निर्माण के लिए, स्लिपफॉर्म निर्माण तकनीक का उपयोग किया गया.
  9. अगले साल खुलेगा पुल: पुल को पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है और अगले साल फरवरी महीने में इस पुल को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा.
  10. मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे को समृद्धि एक्सप्रेसवे के नाम से भी जाना जाता है. 701 किलोमीटर का ये एक्सप्रेसवे वे 10 जिलों और 390 गांवों को जोड़ेगा. मुंबई और नागपुर को जोड़ने ये एक्सप्रेसवे छह लेन का है.

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