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Budget 2018 : बजट से जुड़ी इन बातों को जानना हर किसी के लिए बेहद जरूरी

एक जागरुक समाज को देश के बजट के बारे में जानकारी और उसे यह पता होना चाहिए कि सरकार टैक्स के रूप में उससे जो पैसा वसूल रही है उसको लेकर क्या नीतियां बन रही हैं और कहां खर्च किया जा रहा है. इसके लिए बजट में इस्तेमाल किए जा रहे शब्दों और भाषा को समझना जरूरी है. 

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Budget 2018 : बजट से जुड़ी खास बातें
नई दिल्ली:

आज मोदी सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली 11 बजे आम बजट पेश करेंगे. यह बजट हर लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा. बजट देश के वर्ग के लोगों पर प्रभाव डालता है. लेकिन हमेशा यही दिक्कत रहती है कि बजट में इस्तेमाल की जाने वाली गूढ़ भाषा और आर्थिक विषयों से संबंधित शब्द सबके समझ नहीं आते हैं. लेकिन एक जागरुक समाज को देश के बजट के बारे में जानकारी और उसे यह पता होना चाहिए कि सरकार टैक्स के रूप में उससे जो पैसा वसूल रही है उसको लेकर क्या नीतियां बन रही हैं और कहां खर्च किया जा रहा है. इसके लिए बजट में इस्तेमाल किए जा रहे शब्दों और भाषा को समझना जरूरी है. 

बजट से जुड़ी कुछ खास बातें
  1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई): किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारत स्थित किसी कंपनी में अपनी शाखा, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक कंपनी द्वारा निवेश करने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं.
  2. 80सी की बचत : आप अपनी आमदनी में से इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की एफ़डी, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे निवेशों में लगा सकते हैं, और ऐसे ही निवेशों को जोड़कर डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है... इस डेढ़ लाख रुपये को आपकी कुल आय में से घटा दिया जाता है और उसके बाद इनकम टैक्स का हिसाब लगाया जाता है.
  3. आकस्मिक निधि (कोष) : इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके.
  4. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी): एक वर्ष के दौरान तैयार सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को, विदेशी नागिरकों द्वारा स्थानीय बाजार से अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है..
  5. प्रत्यक्ष या डायरेक्ट टैक्स : यह व्यक्ति या संस्थानों की आय पर लगाया जाता है.  
  6. विनिवेश : जब सरकारी फर्म या संस्थान की कुछ हिस्सेदारी निजी हाथों में सौंप दी जाती है. इससे सरकार को राजस्व मिलता है.
  7. उत्पाद शुल्क : देश के अंदर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगाया जाता है.
  8. राजकोषीय घाटा : सरकार के राजस्व और कुल खर्चें का अंतर होता है. 
  9. जीडीपी : एक वित्तीय साल में देश के अंदर बनने वाली कुल वस्तुओं और सेवाओं को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी कहा जाता है.
  10. एग्रीगेट डिमांड : यह किसी भी देश की अर्थव्यस्था का कुल मांग का जोड़ होता है. इसे उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं और निवेश पर होने वाले खर्च को जोड़कर निकाला जाता है.
  11. एप्रोप्रिएशन बिल : इस बिल के जरिए खर्चों के निकालने के लिए हरी झंडी देने जाती है. इसे लोकसभा में वोटिंग के जरिए पास किया जाता है.
  12. एग्रीग्रेट सप्लाई : यह किसी देश में उत्पादित होने वाली वस्तु एवं सेवाओं की कीमत का जोड़ होता है.  इसमें निर्यात किए गए माल की कीमत घटाने के बाद आयात किए गए माल की कीमत शामिल होती है.
  13. बैलेंस ऑफ पेमेंट : देश के अंतरराष्ट्रीय कारोबार का लेखाजोखा होता है. मतलब देश और विदेश के बीच हुए लेनेदेन का हिसाब होता है.
  14. बैलेंस बजट  : जब देश की कुल आय और खर्चे बराबर होते हैं तो उसे बैलेंस बजट कहा जाता है. इसका मतलब है आय और व्यय पर टैक्स लगने वाला काफी है.
  15. बजट घाटा : जब देश की कुल आय से ज्यादा खर्चे हों तो बजट घाटा कहा जाता है. 
  16. बजट अनुमान : एक वित्तीय साल के अंदर सरकार को कितनी आय हुई और उसने कितना खर्च किया. सरकार की आय का मतलब राजस्व है.
  17. बॉण्ड : यह सरकारी  प्रमाणपत्र है जो कर्ज के लिए जारी किया जाता है. इसके जरिए सरकार पैसा जुटाती है.
  18. कारपोरेट टैक्स : इस तरह के टैक्स कारोबारी कंपनियों पर लगाया जाता है.
  19. सीमा शुल्क : देश से आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर यह टैक्स लगाया जाता है. 
  20. चालू खाता घाटा : आयात और निर्यात के बीच के अंतर होता है. 

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