71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया.
नई दिल्ली:
71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया. कोविंद का राष्ट्र के नाम यह पहला संबोधन था. राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आजादी के इतिहास के संघर्ष को याद करते हुए 'न्यू इंडिया' के विजन के सामने रखा. उन्होंने कहा कि 2022 में हमारा देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे करेगा, तब तक 'न्यू इंडिया' के लिए के लक्ष्यों को प्राप्त करने का हमारा 'राष्ट्रीय संकल्प' है. उन्होंने अपने संदेश में महात्मा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस और लौह पुरुष सरदार पटेल का जिक्र किया. उनके भाषण की 10 खास बातों पर एक नजर:
राष्ट्रपति का देश के नाम संदेश
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार शौचालयों के निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है, लेकिन इन शौचालयों का प्रयोग करना और देश को 'खुले में शौच से मुक्त' कराना - हममें से हर एक की जिम्मेदारी है.
- उन्होंने आगे कहा कि सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, सरकारी नियुक्तियों और सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार समाप्त कर रही है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में भ्रष्टाचार समाप्त करना हम सभी की जिम्मेदारी है.
- जीएसटी की प्रशंसा करते हुए कोविंद ने कहा कि सरकार ने टैक्स की प्रणाली को आसान करने के लिए जीएसटी को लागू किया है, लेकिन इसे अपने हर काम-काज और लेन-देन में शामिल करना तथा टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना हम सभी की जिम्मेदारी है.
- न्यू इंडिया' का मतलब हर परिवार के लिए घर, मांग के मुताबिक बिजली, बेहतर सड़कें और संचार के माध्यम, आधुनिक रेल नेटवर्क, तेज और सतत विकास.
- यह 'न्यू इंडिया' एक ऐसा समाज होना चाहिए, जो भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के साथ-साथ, संवेदनशील भी हो
- देश के नाम संदेश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 'न्यू इंडिया' का मतलब है कि हम जहां पर खड़े हैं वहां से आगे जाएं. तभी हम ऐसे 'न्यू इंडिया' का निर्माण कर पाएंगे जिस पर हम सब गर्व कर सकें. ऐसा
- ‘न्यू इंडिया’ का मतलब जहां प्रत्येक भारतीय अपनी क्षमताओं का पूरी तरह विकास और उपयोग करने में इस प्रकार सक्षम हो कि हर भारतवासी सुखी रहे.
- यह एक ऐसा ‘न्यू इंडिया’ बने जहां हर व्यक्ति की पूरी क्षमता उजागर हो सके और वह समाज और राष्ट्र के लिए अपना योगदान कर सके. ‘न्यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.
- नोटबंदी के बाद से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिला है. ईमानदारी की भावना दिन-प्रतिदिन और मजबूत हो, इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा.
- मैं सब्सिडी का त्याग करने वाले ऐसे परिवारों को नमन करता हूं. उन्होंने जो किया, वह किसी कानून या सरकारी आदेश का पालन नहीं था. हमें ऐसे परिवारों से प्रेरणा लेनी चाहिए.