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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) परिवार को केंद्रीय सुरक्षा कवर देने के खिलाफ एक याचिका पर त्रिपुरा उच्च न्यायालय (Tripura High Court) द्वारा गृह मंत्रालय के अधिकारियों को भेजे गए समन पर रोक लगा दी है. बिकाश साहा नाम के एक व्यक्ति ने जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र को अंबानी, उनकी पत्नी और बच्चों को खतरे की आशंका व आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी फाइल पेश करने का निर्देश दिया था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के पास Z+ सुरक्षा है और उनकी पत्नी नीता अंबानी के पास Y+ है, जिसके लिए वे भुगतान करते हैं. Z+ राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और कुछ अन्य लोगों को दी जाने वाली सुरक्षा की उच्चतम श्रेणी है.
इसके तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के करीब 50-55 सशस्त्र कमांडो चौबीसों घंटे भारत के सबसे धनी व्यक्ति की रक्षा करते हैं.
यह सुरक्षा सुरक्षा पाने वाले को बुलेटप्रूफ कार, तीन शिफ्टों में एस्कॉर्ट और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त सुरक्षा भी मिलती है. यदि आवश्यक हो तो राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो का अतिरिक्त कवर भी प्रदान किया जा सकता है.
उन्नत किस्म के हथियारों से लैस कमांडो के साथ एक पायलट और फॉलो-ऑन वाहन हमेशा अंबानी के साथ होते हैं. जब भी वह मुंबई या देश के किसी अन्य हिस्से में जाते हैं.
सुरक्षा कवर गृह मंत्रालय द्वारा खतरे की आशंका को देखते हुये प्रदान किया जाता है. इसका स्तर खुफिया एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के आधार पर तय किया जाता है.