लालू यादव को जेल और जुर्माना (फाइल फोटो)
रांची:
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चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में रांची की सीबीआई कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को तीन साल की सजा और पांच लाख का जुर्माने का फैसला सुनाया है. इस मामले में अदालत ने फूल चंद, महेश प्रसाद, सुनील कुमार, बांकी जूलियस, सुधीर कुमार और राजा राम को भी साढ़े तीन साल और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. पूर्व विधायक जगदीश शर्मा को अदालत ने सात साल की सजा सुनाई है.
पढ़ें चारा घोटाले से जुड़ी 15 खास बातें
- सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में शुक्रवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद समेत अन्य आरोपियों को जेल से ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया था. अदालत ने एक-एक कर लालू समेत अन्य शेष सात अभियुक्तों की भी सजा के बिन्दु पर उनकी उपस्थिति में बहस सुनी.
- अदालत ने सजा के बिंदु पर लालू के वकीलों की बहस सुनी जिसमें उन्होंने उनकी लगभग 70 वर्ष की उम्र होने और बीमार होने की बार-बार दुहाई दी. लालू के वकील चितरंजन प्रसाद ने बताया कि अदालत ने सजा के बिन्दु पर सभी की बहस सुनने के बाद इस मामले में आदेश के लिए शनिवार दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया है्.
- इस मामले में जहां पांच आरोपियों बेक जूलियस, गोपीनाथ, ज्योति कुमार, जगदीश शर्मा एवं कृष्ण कुमार प्रसाद की सजा के बिन्दु पर उनके वकीलों ने गुरुवार को बहस पूरी कर ली थी. वहीं वर्णक्रम अनुसार लालू प्रसाद की बारी सातवें नंबर पर आई. अदालत ने आज लालू प्रसाद, आरके राणा के अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद, पूर्व सरकारी अधिकारी सुबीर भट्टाचार्य एवं चारा आपूर्तिकर्ताओं त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, संजय अग्रवाल एवं सुनील गांधी के वकीलों की बहस सजा के बिन्दु पर सुनी.
- वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था और लगभग 21 साल बाद इस मामले में गत 23 दिसंबर को फैसला आया.
- सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में 23 दिसंबर को लालू प्रसाद समेत तीन नेताओं, तीन आईएएस अधिकारियों के अलावा पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, पशु चिकित्साधिकारी सुबीर भट्टाचार्य तथा आठ चारा आपूर्तिकर्ताओं सुशील कुमार झा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सुनील गांधी तथा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को अदालत ने दोषी करार देकर जेल भेज दिया था.
- इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू प्रसाद, जगदीश शर्मा, राणा, पूर्व मुख्यमंत्री डा .जगन्नाथ मिश्रा समेत अन्य आरोपियों को सजा हो चुकी है और वे हाईकोर्ट से जमानत प्राप्त कर रिहा हुए हैं.
- देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े के मामले से जुड़े इस मुकदमे में 23 दिसंबर को सीबीआई के विशेष न्यायाधीष शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र एवं साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था.
- इससे पूर्व जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने निचली अदालत को इसकी सुनवाई नौ माह में पूरी करने के निर्देश दिये थे. इस मुकदमे में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आरके राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद एवं 29 अन्य आरोपी थे. कुल 38 आरोपियों में से सुनवाई के दौरान जहां 11 की मौत हो गयी, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये तथा दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी.
- शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना फैसला 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था. सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक साजिश, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
- सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में गबन की धारा 409 में दस वर्ष तक की और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
- चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने तथा चार वर्ष कैद की सजा सुनायी गई थी. चारा घोटाले में लालू के खिलाफ यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें अब कल सजा सुनाये जाने की संभावना है.
- इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा मामला, दुमका कोषागार से तीन करोड़, 97 लाख रुपये निकासी एवं चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित मुकदमे अभी चल रहे हैं जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.
- अदालत ने 23 दिसंबर को संबंधित मामले में फैसला सुनाते हुए देवघर के तत्कालीन उपायुक्त सुखदेव सिंह को भी सीआरपीसी की धारा 319 के तहत समन भेजकर पूछा है कि क्यों न उन पर भी इस मामले में सह अभियुक्त के तौर पर मुकदमा चलाया जाये. इसने कहा कि आखिर देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन निकाले जाने के बारे में उन्होंने कोई पत्र सरकार को क्यों नहीं लिखा. उन्होंने समय रहते इस मामले में आवश्यक कार्रवाई क्यों नहीं की? अब इस मामले में सुखदेव सिंह को अदालत में 23 जनवरी को अपना पक्ष रखना होगा. अदालत के संतुष्ट न होने पर उन पर इस मामले में मुकदमा भी चलाया जा सकता है. साथ ही अदालत ने सीबीआई द्वारा कुल 38 आरोपियों में से सरकारी गवाह बनाये गये तीन लोगों की 1990 से 1994 के बीच की अर्जित संपत्ति की जांच कर उसे जब्त करने और नीलाम कर उससे प्राप्त राशि को सरकारी खजाने में जमा करने के आदेश दिये थे.
- इस मामले में सीबीआई ने डा. एसके सिंह, आर के दास एवं शैलेन्द्र कुमार को सरकारी गवाह बनाया था.
- इसके अलावा अदालत ने अदालती फैसले के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी करने पर तीन जनवरी को राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं लालू के बेटे तेजस्वी यादव, राजद के नेता शिवानंद तिवारी तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी को अवमानना नोटिस जारी कर उन्हें व्यक्तिगत रूप से 23 जनवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं.
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