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पहले OBC उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़, राजस्थान के झुंझुनू से खास रिश्ता : 10 बातें

जगदीप धनखड़ देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए हैं. उनका मुकाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था.

पीएम मोदी के साथ जगदीप धनखड़.

नई दिल्ली:

पहली बार देश को ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाला उपराष्ट्रपति मिला है. जगदीप धनखड़ देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए हैं. उनका मुकाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था. हालांकि, पहले से ही धनखड़ की जीत पक्की दिख रही थी. शनिवार को वोटिंग में करीब 93 प्रतिशत सांसदों ने वोट डाला, जबकि 55 सांसदों ने मतदान नहीं किया. इन 55 गैरहाजिर सांसदों में 34 टीएमसी, बीजेपी-सपा और शिवसेना के 2-2 और बसपा के एक सांसद शामिल हैं.

भारत के उप-राष्ट्रपति पद से जुड़ी रोचक जानकारी

  1. जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गाँव किठाना में एक जाट  किसान परिवार में हुआ था. धनखड़ ने एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय में लॉ की प्रैक्टिस की. सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के एक साल बाद, 1990 में उन्हें एक वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर नामित किया गया था.
  2. जगदीप धनखड़ वैसे तो पहले जनता दल और कांग्रेस पार्टी में भी रह चुके हैं लेकिन अब वो बीते दो दशक से बीजेपी के साथ हैं. दूसरे जाट नेताओं की तरह ही धनखड़ भी देवी लाल के साथ जुड़े रहे हैं.
  3. वीपी सिंह सरकार से खुदको अलग करने के बाद वो 1990 चंद्रशेखर सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. बाद में पीवी नरसिम्हा राव के पीएम बनते ही धनखड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. 
  4. राजस्थान में अशोक गहलोत के बढ़ते दबदबे को देखते हुए वो बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में उन्हें वसुंधरा राजे के करीबियों में गिना जाने लगा. दूसरे नेताओं के साथ राजस्थान में बाद में जाटों को ओबीसी में शामिल कराने को लेकर आंदोलन करते रहे. 
  5. धनखड़ जिन्हें मंजा हुआ राजनीतिज्ञ माना जाता रहा है, ने जयपुर के महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. 1978-79 में उन्होंने जयपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. ग्रेजुएशन और एलएलबी की डिग्री लेने से पहले वो सैनिक स्कूल भी गए. 
  6. भारत में अब तक केवल दो उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और हामिद अंसारी ऐसे हुए  हैं, जिन्हें दूसरी बार कार्यकाल मिला. वहीं, अब तक देश में 13 उप-राष्ट्रपति हुए हैं, जिनमें से 6 बाद में चलकर राष्ट्रपति बने. उपराष्ट्रपति पद पर रहे गोपाल स्वरूप पाठक, बी डी जत्ती, मोहम्मद हिदायतुल्ला, कृष्ण कांत, भैंरोसिंह शेखावत, हामिद अंसारी और एम वेंकैया नायडू राष्ट्रपति नहीं बन सके थे. 
  7. के आर नारायणन और हामिद अंसारी ऐसे दो उपराष्ट्रपति थे, जो कि नेता नहीं, बल्कि नौकरशाह थे. ये दोनों ही भारतीय विदेश सेवा में थे.अभी तक भाजपा के केवल दो भैंरोसिंह शेखावत और एम वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति रहे हैं. कांग्रेस के सबसे ज्यादा पांच उपराष्ट्रपति हुए हैं.
  8. तीन उपराष्ट्रपति ऐसे हुए जो पेशे से वकील थे- गोपाल स्वरूप पाठक, मोहम्मद हिदायतुल्ला और आर वेंकटरमण. अगर जगदीप धनखड़ जीतते हैं तो चौथे होंगे.आर वेंकटरमण ऐसे अकेले उपराष्ट्रपति हुए जो संविधान सभा के सदस्य थे और बाद में राष्ट्रपति बने. भैंरोसिंह शेखावत ऐसे अकेले उपराष्ट्रपति थे जो इस पद पर रहते हुए राष्ट्रपति का चुनाव लड़े और हार गए.
  9. के आर नारायणन ऐसे अकेले उपराष्ट्रपति थे, जिनकी पत्नी विदेशी थी. आईएफएस में रहते हुए बर्मी नागरिक मा टिंट टिंट से शादी की, जिन्होंने बाद में अपना नाम उषा नारायण रखा.संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है. उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति होते हैं. राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उनका स्थान लेते हैं. संविधान के अनुसार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों एक ही व्यक्ति नहीं हो सकते. 
  10. जहां राष्ट्रपति का वेतन पांच लाख रुपए महीने है. वहीं, उपराष्ट्रपति को कोई वेतन नहीं मिलता. उन्हें जो वेतन मिलता है वह राज्यसभा के सभापति के नाते मिलता है. राज्य सभा के सभापति के नाते उन्हें चार लाख रुपए प्रति महीने मिलता है. अगर राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति का दायित्व उपराष्ट्रपति निभाते हैं तो उन्हें राष्ट्रपति के समान ही वेतन एवं सुविधाएं मिलेंगी.

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