आरबीआई गवर्नर की ताकत कम करने के लिए सरकार ने तैयार किया प्रस्ताव

आरबीआई गवर्नर की ताकत कम करने के लिए सरकार ने तैयार किया प्रस्ताव

आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार कर तमाम विभागों को उनकी राय के लिए भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत रिजर्व बैंक के गवर्नर को मौद्रिक नीति तय करने के मामले में मिले विशेष अधिकारों को कम करने के सुझाव हैं।

जानिये क्या हैं इस मामले के पेंच

  1. एनडीटीवी के हाथ लगे इस प्रस्ताव के दस्तावेज बताते हैं कि सरकार ने सात सदस्यों की समिति की बात कही है। इस समिति में सरकार के चार और आरबीआई के तीन सदस्य होंगे। सरकार के चार में से एक के पास वोटिंग अधिकार नहीं होगा। आरबीआई के इन्हीं तीन सदस्यों में आरबीआई का गवर्नर भी होगा। नए प्रस्ताव के मुताबिक गवर्नर भले ही इस समिति का अध्यक्ष होगा, लेकिन उसके पास किसी प्रकार की वीटो पावर नहीं होगी। हालांकि गवर्नर के पास भी वोट करने का अधिकार होगा।

  2. सरकार का यह प्रस्ताव कहता है कि आरबीआई गवर्नर के अलावा बैंक दो सदस्यों को समिति के लिए नामित कर सकता है। इसमें डिप्टी गवर्नर के अलावा एक और अधिकारी होगा।

  3. मौद्रिक नीति पर बनने वाली इस समिति का निर्णय आरबीआई पर बाध्यकारी होगा और निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। दो विभिन्न मतों में समान विभाजन की स्थिति में आरबीआई गवर्नर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा।

  4. मौद्रिक नीति पर बनने वाली समिति आरबीआई की तमाम ब्याज दरों को तय करेगी और महंगाई के टारगेट भी तय करेगी।

  5. वर्तमान में आरबीआई गवर्नर के पास एक तकनीकि सलाहकार समिति है जो उसे मौद्रिक नीति पर राय दिया करती है। यह राय स्वीकारना या नकारना गवर्नर के विवेक पर निर्भर करता है।

  6. इससे पहले भी ऐसे ही एक प्रस्ताव को लेकर विवाद हो गया था जिसमें कहा गया था कि सरकार इस प्रकार की समिति में ज्यादा सदस्यों की नियुक्ति करेगी। उस प्रस्ताव में भी आरबीआई के गवर्नर के वीटो अधिकार को समाप्त करने की बात कही गई थी।

  7. आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पहले ही कह चुके हैं कि यह सही होगा कि गवर्नर के वीटो अधिकार को समाप्त किया जाए और अच्छा होगा कि एक व्यक्ति के बजाय एक समिति प्रमुख ब्याज दरों पर निर्णय ले।

  8. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार और आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति पर एक राय है और यह काम तमाम अन्य देशों में चल रही व्यवस्था के हिसाब से किया जा रहा है।

  9. नई समिति हर छह महीने के लिए लक्षित महंगाई दर तय करेगी और यह दर छह महीने से लेकर 18 महीने तक के लिए तय की जाएगी।

  10. समिति अपनी बैठकों का लेखा-जोखा तुरंत प्रकाशित करेगी और वोटिंग पैटर्न को भी सार्वजनिक किया जाएगा।