विवादित डोकलाम क्षेत्र
बीजिंग:
डोकलाम क्षेत्र चीन द्वारा अवैध निर्माण गतिविधियों को लेकर पिछले काफी दिनों से अटकलों का बाजार गर्म था. मगर अब खुद चीन ने इस बात की पुष्टि की है कि डोकलाम में उनकी व्यापक निर्माण गतिविधि जारी है. चीन ने डोकलाम में अपनी निर्माण गतिविधियों को शुक्रवार को उचित ठहराया और कहा कि यह पूरी तरह से वैध है और यह उसके खुद के क्षेत्र में रह रहे लोगों और सैनिकों की जीवन परिस्थितियों को सुधारने पर केंद्रीत है. बता दें कि चीन का बयान ऐसे मौके पर आया है, जब मीडिया में खबरें चल रही थी कि चीन डोकलाम क्षेत्र में बड़ा सैन्य शिविर बना रहा है, जिसकी तस्वीरें सैटेलाइट के माध्यम से वायरल हुई थीं. बता दें कि डोकलाम दोनों देशों के बीच गतिरोध वाला इलाका है.
जानिये चीन ने क्या-क्या कहा
- डोकलाम क्षेत्र में चीनी सैन्य परिसर की उपग्रह से ली गई तस्वीरें सामने आने के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कहा, ‘मैंने भी संबंधित रिपोर्ट देखी है. मुझे नहीं पता कि इस तरह की तस्वीरें किसने प्रस्तुत कीं.’ लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि उनके पास इस बारे में विस्तृत सूचना नहीं है. खबरों में चिंता जताई गई है कि हो सकता है कि चीन भारत के साथ एक और गतिरोध की तैयारी में है.
- लु ने कहा, ‘डोकलाम पर चीन की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है. डोकलाम हमेशा चीन के और इसके प्रभावी अधिकार क्षेत्र में रहा है. इस संबंध में कोई विवाद नहीं है.’ उन्होंने क्षेत्र पर चीन की संप्रभुता बताई. इस क्षेत्र पर भूटान भी अपना दावा करता है. उन्होंने कहा कि चीन अपने सैनिकों तथा क्षेत्र में रह रहे अपने लोगों के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण कर रहा है.
- लु ने कहा, ‘सीमा पर गश्त करने तथा सैनिकों और निवासियों की जीवन स्थितियों में सुधार के क्रम में चीन ने डोकलाम क्षेत्र में सड़कों सहित आधारभूत ढांचे का निर्माण किया है.’ उन्होंने कहा कि चीन अपने खुद के क्षेत्र में संप्रभुता का इस्तेमाल कर रहा है.
- लु ने कहा, ‘यह वैध और उचित है. जैसे कि चीन भारतीय क्षेत्र में भारत के निर्माण पर टिप्पणी नहीं करेगा, वैसे ही हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे देश चीन के खुद के क्षेत्र में निर्माण पर टिप्पणी नहीं करेंगे.’ इन चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर कि चीन डोकलाम क्षेत्र में एक और गतिरोध की तैयारी कर रहा है, उन्होंने कहा कि भारत के चिकन नेक कॉरिडोर के पास एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण को रोकने के लिए भारतीय सैनिकों के हस्तक्षेप ने द्विपक्षीय संबंधों को कठिन परीक्षा में डाल दिया है.
- पिछले साल सिक्किम के पास डोकलाम क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो महीने से अधिक समय तक गतिरोध चला था और यह दोनों देशों के अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत होने के बाद 28 अगस्त को समाप्त हुआ था.
- सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की इन हालिया टिप्पणियों के संदर्भ में कि चीन और भूटान के बीच डोकलाम एक विवादित क्षेत्र है, लु ने कहा, ‘वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी ने माना है कि ये भारतीय सैनिक थे जिन्होंने सीमा पार की थी.’ लु ने कहा, ‘इस घटना ने द्विपक्षीय संबंधों को कठिन परीक्षा में डाल दिया है. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय पक्ष इससे सबक सीख सकता है और ऐसी घटना के दोबारा होने से बच सकता है.’
- पिछले सितंबर में श्यामेन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक को याद करते हुए लु ने कहा, ‘वास्तव में बैठक के दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और भविष्य के विकास को लेकर नीति तैयार करने को लेकर कुछ आम सहमति पर पहुंचे थे.’
- उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष दोनों नेताओं के बीच हुई आम सहमति का ईमानदारी से पालन कर सकते हैं, समान दिशा में बढ़ सकते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति एवं स्थिरता बनाए रख सकते हैं तथा द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं.’
- नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कल कहा था कि डोकलाम क्षेत्र में पिछले साल उत्पन्न गतिरोध की स्थिति को ‘भारत और चीन के बीच कूटनीतिक चर्चा के बाद सुलझा लिया गया था, जिसके आधार पर दोनों पक्ष गतिरोध स्थल से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हुए थे.’ गतिरोध स्थल यथास्थिति में किसी बदलाव के बारे में बार-बार सवाल पूछे जाने पर सरकार ने कहा था कि इस तरह के कयासों का कोई आधार नहीं है.
- विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘‘सरकार एक बार फिर दोहराएगी कि गतिरोध स्थल पर यथास्थिति में बदलाव नहीं आया है. इसके विपरीत कोई बात सही नहीं है और यह शरारतपूर्ण है.’ (इनपुट भाषा से)