उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर (Bulandshahr mob violence) में बीते सोमवार को गोकशी के शक में भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या का मामला अभी भी नहीं सुलझ पाया है. हालांकि, इंस्पेक्टर की हत्या का मुख्य संदिग्ध आर्मी जवान जीतू फौजी (Jitu Fauji) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और आज उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा. मगर जीतू ने हत्या करने की बात से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि सेना ने जीतू को रात करीब साढ़े बारह बजे पुलिस के हवाले कर दिया. एनडीटीवी से सूत्रों ने कहा कि वह पिछले 36 घंटे से पुलिस की रडार पर था. पुलिस की हिरासत में जीतू से पुछताछ हुई. पुलिस के सामने जीतू ने स्वीकार किया है कि वह भीड़ का हिस्सा था. दरअसल, बुलंदशहर में गोकशी के शक में भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह थे और एक सुमित नाम का युवक था. चलिए अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ जानते हैं.
बुलंदशहर हिंसा मामले में अब तक क्या हुआ
- यूपी के बुलंदशहर के महाव गांव में बीते सोमवार को स्याना कोतवाली में पुलिस को एक खेत में गोवंश के कुछ अवशेष मिलने की सूचना मिलती है. हालांकि, इससे पहले गांव वाले और बजरंगदल के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच चुके होते हैं. इस सूचना पर चिंगरावठी पुलिस चौकी से सब इंस्पेक्टर सुरेश चंद अपनी टीम के साथ मौका-ए-वारदात पर पहुंचते हैं. पुलिस भीड़ को समझाने की कोशिश करती है और गोवंश के अवशेष को जमीन में गाड़ने की बात कहती है. मगर बजरंग दल के कुछ लोग ऐसा नहीं करने देते हैं. ऐसा खेत के मालिक और गांव के पूर्व प्रधान का दावा है भीड़ गोवंश के टूकड़े को ट्रैक्टर-ट्रॉली में रखती है और हाईवे को जाम कर देती है. भीड़ पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराने आती है मगर वहां हंगामा बढ़ जाता है.
- पुलिस चौकी में भीड़ और पुलिस वाले आमने-सामने हो जाते हैं. सुबोध कुमार सिंह भी भीड़ को समझाने की कोशिश करते हैं, मगर तब तक भीड़ उग्र और बेकाबू हो गई. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. भीड़ और पुलिस में झड़प हुई और यह हिंसक झड़प में बदल गया, जिसमें पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो जाती है और एक सुमित नाम का युवक भी मारा जाता है. भीड़ ने इंस्पेक्टर की सरकारी पिस्टल भी लूट ली.
- बुलंदशहर मामले में दो एफआईआर दर्ज होते हैं. एक एफआईआर गोकशी के मामले में होता है, जिसे बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज दर्ज करवाता है. वहीं दूसरा मामला हिंसा और इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दर्ज होता है, जिसे पुलिस दर्ज कराती है. योगेश राज के एफआईआर में 7 मुस्लिमों के नाम है. वहीं पुलिस की एफआईआर में योगेश राज ही मुख्य आरोपी है. यानी बुलंदशहर हिंसा मामले और पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या मामले में 27 लोगों को नामजद किया गया है और 60 अज्ञात हैं.
- योगेश राज बुलंदशहर हिंसा का मुख्य आरोपी है. वह अभी फरार बताया जा रहा है. पुलिस अब तक उसे ढूंढ नहीं पाई है. हालांकि, योगेश राज ने एक वीडियो जारी कर खुद को निर्दोष बताया है. मगर पुलिस को जो वीडियो और फोटोग्राफ्स में मिले हैं, उसमें इस बात की तस्दीक होती है कि योगेश राज भी भीड़ का हिस्सा था और वह भीड़ को उकसा रहा था. एक वीडियो में वह इंस्पेक्टर सुबोध सिंह से बहस करता भी दिख रहा है.
- बुलंदशहर हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या का शक पुलिस को सेना का जवान जीतू पर है, जिसे 36 घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को रविवार की रात करीब साढ़े बारह बजे सेना ने यूपी पुलिस के एसटीएफ हवाले कर दिया. आज जीतू को कोर्ट में पेश किया जाएगा. हालांकि, जीतू ने कहा है कि उसने सुबोध सिंह को गोली नहीं मारी है. जीतू जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात है और वह राष्ट्रीय राइफल्स का जवान है.
- पुलिस ने जब वीडियो खंगाले तो योगेश राज के साथ बगल में जीतू भी दिखाई दिया. प्रथमदृष्टया पुलिस को शक है कि जीतू ने ही पुलिस पर गोली चलाई है, मगर पुलिस भी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई है. मेरठ के सीनियर पुलिस ऑफिसर एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा कि हमने आर्मी जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू को गिरफ्तार कर लिया है. उसे सेना ने रात 12.50 बजे हमें सौंपा. प्राथमिक पूछताछ पूरी हो चुकी है और उसे बुलंदशहर लाया जा रहा है. उसे आज न्यायिक हिरासत के लिए कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा.
- सूत्रों की मानें तो जीतू को पकड़ने के लिए पुलिस की दो टीमें जम्मू-कश्मीर के सोपोर गई थी. उसे शुक्रवार की रात में हिरासत में ले लिया गया था. बताया जा रहा है कि जीतू फौजी राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात है और हिंसा के दिन मौके पर भी मौजूद था. जितेंद्र मलिक सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात है. वह 15 दिन की छुट्टी पर बुलंदशहर आया था. इतना ही नहीं, हिंसा के दिन मौके पर मौजूद था. हिंसा के बाद सोमवार को बुलंदशहर से भागकर सोपोर आ गया था.
- बुलंदशहर हिंसा मामले में आई आईबी की रिपोर्ट के बाद एसएसपी कृष्ण बहादुर सिंह, स्याना इलाके के सीओ सत्य प्रकाश और चौकी इंचार्ज सुरेश कुमार का ट्रांसफर कर दिया गया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में पुलिस की भी लापरवाही की बात कही गई. आईबी के एडीजी की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि बुलंदशहर में कथित गोकशी की खबर के बाद भारी विरोध शुरू हो गया था और उसी दौरान कुछ लोगों ने हिंसा भड़काने की साजिश रच डाली. स्थानीय पुलिस और प्रशासन की देरी की वजह से तनाव बढ़ता गया. इतना ही नहीं जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर नहीं पहुंचे जिसके बाद हालात और बिगड़ गए.
- हालांकि, जीतू के भाई और उसकी मां का कहना है कि जीतू निर्दोष है और उसने पुलिस की हत्या नहीं की है. जीतू के भाई धर्मेंद्र ने कहा, 'मेरे भाई (जीतू फौजी) को साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. वह इस्पेक्टर की मौत में शामिल नहीं था. मेरे पास ऐसे सबूत हैं, जिससे यह साबित हो जाएगा कि मेरा भाई उस समय घटनास्थल वाली जगह पर मौजूद ही नहीं था. मैं मुख्यमंत्री से मदद की अपील करता हूं.'
- बुलंदशहर हिंसा मामले में पुलिस इंस्पेक्टर की मौत के तीन दिन बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सुबोध सिंह के परिवार वालों से मिलते हैं और परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाते हैं. सुबोध सिंह के परिवार को 50 लाख का मुआवजा दिया गया और एक सरकारी नौकरी. सुबोध कुमार सिंह के बेट अभिषेक ने कहा कि उनके पिता उन्हें कभी भी धर्म के नाम पर कुछ भी गलत करने से मना करते थे.