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Budget 2018 : क्या इस बार मिलेगी कम किराए की सौगात? बिना 'डिरेल' हुए रेल दौड़ाना बड़ी चुनौती, 5 बड़ी बातें

अब रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाता है. मोदी सरकार के आने के बाद से रेलवे को घाटे से उबारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसके लिए नई ट्रेनों को चलाने की घोषणा भी बहुत कम की गई है. ये बजट सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा इसलिए कुछ उम्मीदें जरूर जुड़ी हैं.

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Budget 2018 : बजट से रेलवे विभाग को भी कई उम्मीदें
नई दिल्ली:

साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा गुरुवार को पेश किए जाने वाले अंतिम पूर्ण बजट में रेलवे के लिए सुरक्षा चिंताओं के समाधान, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी और अवसंरचना में बड़ा निवेश पर जोर दिए जाने की उम्मीद है. गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अलग से रेल बजट पेश करने बंद कर दिया है. अब रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाता है. मोदी सरकार के आने के बाद से रेलवे को घाटे से उबारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसके लिए नई ट्रेनों को चलाने की घोषणा भी बहुत कम की गई है. ये बजट सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा इसलिए कुछ उम्मीदें जरूर जुड़ी हैं.

5 बड़ी बातें

  1. बजट  में रेल किराए में बढ़ोतरी या नई ट्रेनों की घोषणा की उम्मीद नहीं है. चालू वित्त वर्ष के 96 फीसदी के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में 95 फीसदी परिचालन अनुपात (ओआर) रहने की उम्मीद है.  रेलवे की वित्तीय हालत का पता उसके ओआर से तय होता है, इससे पता लगता है कि रेलवे एक रुपये की कमाई करने के लिए कितना खर्च करती है. अगर ओआर 90 फीसदी है तो इसका मतलब है कि रेलवे एक रुपये की कमाई करने के लिए 90 पैसा खर्च कर रही है.
  2. आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक इंजनों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रेलवे वाराणसी के डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स (डीएलडब्ल्यू) और पाटियाला के डीजल कंपोनेंट वर्क्‍स (डीसीडब्ल्यू) में इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण का प्रावधान किया जा सकता है.  रेलने ने सभी मार्गो का विद्युतीकरण करने का फैसला किया है और वह डीजल इंजनों को धीरे-धीरे बाहर कर रही है.  इसलिए बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक इंजनों की जरूरत है. 
  3. बजट में रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए 95,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने की उम्मीद है, जिसमें सिग्नलों का ऑटोमेशन तथा पुरानी पटरियों को बदलना भी शामिल है.  मध्य वर्ग की बजट से करों का बोझ हल्का करने की अपेक्षाएं हैं.  सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों को जारी रखने की उम्मीद है. 
  4. बजट में रेलवे के लिए योजनागत आवंटन को 1.31 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.46 लाख करोड़ रुपये करने की उम्मीद है. साथ ही सकल बजटीय समर्थन (जीबीएस) करीब 65,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह 55,000 करोड़ रुपये थी. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कई बार कहा कि रेलवे को जीबीएस पर निर्भर नहीं रहना चाहिए तथा अपने आंतरिक संसाधनों और बाजार से धन पैदा करना चाहिए. 
  5. वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सभी 11,000 ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का प्रावधान हो सकता है, जिसमें रेलवे के सभी 8,500 स्टेशन भी शामिल होंगे.बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस बजट में देश भर के सभी प्रमुख शहरी और उपशहरी स्टेशनों पर 3,000 एस्केलेटर और 1,000 लिफ्ट लगाने का प्रावधान भी किया जा सकता है.

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