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Yogini Ekadashi vrat katha : आज है योगिनी एकादशी, बिना कथा के नहीं पूरा होता है व्रत, पढ़िए यहां

इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लेकिन एकादशी का व्रत तभी पूर्ण होता है, जब आप इसकी कथा सुनते या पढ़ते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पंडित अरविंद मिश्र से योगिनी एकादशी की कथा क्या है...

Yogini Ekadashi vrat katha : आज है योगिनी एकादशी, बिना कथा के नहीं पूरा होता है व्रत, पढ़िए यहां
यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है.

Ekadashi vrat katha : आज योगिनी एकादशी है, जिसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. यह उपवास करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ऐसे में धन की देवी का भी आपको आशीर्वाद मिलता है. इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लेकिन एकादशी का व्रत तभी पूर्ण होता है, जब आप इसकी कथा सुनते या पढ़ते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पंडित अरविंद मिश्र से योगिनी एकादशी की कथा क्या है...

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योगिनी एकादशी कथा - yogini ekadashi katha

प्राचीन समय की बात है अलकापुरी में कुबेर के यहां एक हेम नामक माली रहता था. वह भगवान शंकर के पूजनार्थ नित्य प्रति मानसरोवर से फूल लाया करता था. एक दिन की बात है वह कामोन्मत होकर अपनी स्त्री के साथ स्वच्छन्द विहार करने के कारण फूल लाने में देर कर बैठा और देर से कुबेर के दरबार में पहुंचा. जिसके कारण कुबेर जी ने उसे क्रोधित होकर मृत्युलोक में कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. जिसके बाद हेम धरती पर आ गिरा और जंगल-जंगल भटकते हुए कोढ़ी रूप में वह मार्कण्डेय ऋषि के पास पहुंचा, तब उन्होंने योगिनी एकादशी व्रत रखने का नियम बताया.

यह सुनकर हेम माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया. हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया. जिसके प्रभाव से कोढ़ समाप्त हो गया तथा दिव्य शरीर वाला होकर स्वर्गलोक को गया.

व्रत पूजन विधि

यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है. इस दिन नारायण की मूर्ति को स्नान कराकर भोग लगाते हुए पुष्प, धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए. वहीं, एकादशी को गरीब ब्राह्मणों को दान देना परम श्रेष्ठ माना जाता है. इस एकादशी के प्रभाव से पीपल का वृक्ष काटने से उत्पन्न पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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