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अगस्त में 15 या 16 तारीख किस दिन रखा जाएगा पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि यहां

एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे शुभ तिथि मानी जाती है. अक्सर ही एकादशी की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति देखी जाती है, ऐसे में जानिए इस साल पुत्रदा एकादशी 15 अगस्त के दिन मनाई जाएगी या फिर 16 अगस्त के दिन. 

अगस्त में 15 या 16 तारीख किस दिन रखा जाएगा पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि यहां
साल में कुल 24 एकादशी आती हैं.

Putrda Ekadashi 2024: सावन का महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत शुभ और खास महीना माना जाता है. इस पावन माह में जब शुक्ल पक्ष शुरू होता है तब जो एकादशी पड़ती है उसे पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो बार एकादशी आती है. हर महीना दो भागों में बंटा होता है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष. दोनों ही पक्षों में एक-एक एकादशी आती है. इस तरह अगर गिना जाए तो साल में कुल 24 एकादशी आती हैं. एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे शुभ तिथि मानी जाती है. अक्सर ही एकादशी की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति देखी जाती है, ऐसे में जानिए इस साल पुत्रदा एकादशी 15 अगस्त के दिन मनाई जाएगी या फिर 16 अगस्त के दिन. 

कब है पुत्रदा एकादशी

पंचाग के अनुसार15 अगस्त की सुबह 10 बजकर 26 मिनट से एकादशी की तिथि शुरू हो जाएगी. तिथि अगले दिन सुबह यानी कि 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त के दिन रखा जाएगा.

बन रहा है शुभ योग

इस बार की पुत्रदा एकादशी कई मायनों में खास है. इस दिन बहुत ही शुभ योग बन रहा है. एकादशी प्रीति योग में पड़ रही है. इसके अलावा इस दिन लक्ष्मी नारायण योग भी बन रहा है. प्रीति योग प्रारंभ होने का सही समय होगा दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक है.

पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि और महत्व

मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से भगवान भक्तों को सारे पापों से छुटकारा दिलाते हैं. इतना ही नहीं भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं. आप भी अगर इस दिन का व्रत रख रहे हैं तो पूजन से पहले स्नान कर शुद्ध और पवित्र हो जाएं. सारी साफ-सफाई के बाद मंदिर में दीप जलाएं. फिर भगवान विष्णु पर गंगाजल अर्पित कर उनका अभिषेक करें. माना जाता है कि भगवान विष्णु को फूल और तुलसी दल प्रिय है. इसलिए उन्हें दोनों वस्तुएं अर्पित करें. भगवान के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी पूजन करें. जितना ज्यादा समय हो सके वो ध्यान और पूजन में बिताएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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