Jagannath Rath Yatra 2024 : आज से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है. यह यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित की जाती है. इसका आयोजन ओडिशा के पुरी में किया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ रथ पर विराजमान होकर जनसामान्य के बीच से अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. दस दिनों तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में किस दिन क्या होगा ये सारी डिटेल आपको आर्टिकल में हम आपको आगे बता रहे हैं.
जगन्नाथ रथ यात्रा में कब क्या होगा
7 जुलाईआज से 5 शुभ योग में इस यात्रा की शुरुआत हो गई है. इस यात्रा के पहले दिन सबसे प्रसिद्ध रस्म छेरा पहरा होगी. इसमें ओडिशा के महराज गजपति सोने की झाड़ू से रथों के चारों ओर सफाई करेंगे. फिर शाम को भक्त रथ को खींचना शुरू करेंगे.
8 जुलाईइस दिन सुबह से रथ को आगे बढ़ाया जाएगा जो गुंडीचा मंदिर पहुंचेगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार गुंडीचा भगवान जगन्नाथ की मौसी थीं. यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ मौसी के घर 7 दिन तक रुकते हैं.
9 से 15 जुलाईवहीं, 9 से 5 जुलाई प्रभु अपने भाई और बहन के साथ गुंडीचा मंदिर में रहेंगे. इस दौरान भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन भी कर सकेंगे.
16 जुलाईवहीं, 16 जुलाई को निलाद्री विजया नाम की रस्म के साथ इस रथ यात्रा का समापन होगा. इसके बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ वापस पुरी लौट आएंगे.
आपको बता दें कि इस रस्म में रथों को खंडित कर दिया जाता है. रथों को खंडित करने के पीछे की मान्यता है कि रथ यात्रा पूरी होने के बाद भगवान इस वादे के साथ मंदिर में लौट गए हैं कि अगले साल वे फिर से अपने भक्तों को दर्शन देने आएंगे.
तीनों रथों की क्या है खासियत
पुरी से निकलने वाली इस धार्मिक रथ यात्रा में शामिल रथों के अलग-अलग नाम हैं, जो इस प्रकार हैं-
भगवान जगन्नाथ का रथ - यह रथ 42.65 फीट ऊंचा होता है और इसमें 16 पहिए होते हैं,
- वहीं इस रथ का रंग लाल और पीला होता है.
- प्रभु जगन्नाथ के सारथी दारुक हैं.
भाई बलराम का रथ - इसकी ऊंचाई 43.30 फीट होती है, जो भगवान जगन्नाथ के रथ से बड़ा होता है.
- इसका रंग लाल और हरा होता है जिसमें 14 पहिए लगे होते हैं. इस रथ के सारथी मातलि हैं.
बहन सुभद्रा का रथ - इसका रंग लाल और काला होता है जिसमें 12 पहिए लगे होते हैं और इस रथ के सारथी अर्जुन हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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