विश्वकर्मा भगवान को प्रिय है ये आरती, मशीनों की पूजा करते समय पढ़ना ना भूलें इसे
नई दिल्ली:
17 सितंबर को हर साल पूरे भारत में विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Puja 2018) मनाई जाती है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma) की पूजा की जाती है. इन्हें मशीन के देवता, देवताओं का शिल्पकार, वास्तुशास्त्र का देवता और देवताओं का इंजीनियर कहा जाता है. क्योंकि यही वो भगवान हैं जिन्होंने रावण की लंका से लेकर कृष्ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी, हस्तिनापुर, भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, यमराज का कालदंड और उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ सहित, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण अपने हाथों से किया था. इसीलिए इन्हें प्रथम इंजीनियर के नाम से भी जाना जाता है. विश्वकर्मा जयंती के दिन मशीनों जैसे गाड़ियों और कम्प्यूटरों की पूजा की जाती है. आप जहां काम करते होंगे वहां भी आपने मशीनों को इस दिन पूजते देखा होगा. मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन मशीनों की पूजा करना शुभ माना जाता है. तो अगर आप भी इस दिन अपनी मशीनों की पूजा करें तो यहां दी गई आरती को पढ़ना ना भूलें.
Vishwakarma Jayanti: क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा? जानिए महत्व, पूजा विधि और आरती
विश्वकर्मा की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
Vishwakarma Jayanti: क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा? जानिए महत्व, पूजा विधि और आरती
विश्वकर्मा की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
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