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This Article is From Jun 10, 2021

Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा की सामग्री

Vat Savitri Vrat 2021:  वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस साल वट सावित्री व्रत 10 जून के दिन गुरूवार को है.

Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा की सामग्री
Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें पूजा.
नई दिल्ली:

Vat Savitri Vrat 2021 Muhurat:  वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है.  हिन्‍दू धर्म में सुहागिनों के लिए वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है. शादीशुदा महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं.  वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयंती भी मनाई जाती है. इस साल वट सावित्री व्रत 10 जून के दिन गुरूवार को है.

वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त 
- वट सावित्री अमावस्या तिथि - गुरुवार, 10 जून, 2021
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 9 जून 2021 को दोपहर 01:57 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021 को शाम 04:22 बजे तक.

वट सावित्री पूजन सामग्री 
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, 24 पूरियां, 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) बांस का पंखा, लाल धागा, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र और रोली. 

वट सावित्री व्रत पर इस विधि से करें पूजा
- महिलाएं सुबह उठकर स्‍नान कर नए वस्‍त्र पहनें और सोलह श्रृंगार करें. 
- अब निर्जला व्रत का संकल्‍प लें और घर के मंदिर में पूजन करें. 
- अब 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष पूजन के लिए जाएं. 
- अब 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें. 
- इसके बाद वट वृक्ष पर एक लोट जल चढ़ाएं. 
- फिर वट वक्ष को हल्‍दी, रोली और अक्षत लगाएं. 
- अब फल और मिठाई अर्पित करें. 
- इसके बाद धूप-दीप से पूजन करें. 
- अब वट वृक्ष में कच्‍चे सूत को लपटते हुए 12 बार परिक्रमा करें. 
- हर परिक्रमा पर एक भीगा हुआ चना चढ़ाते जाएं. 
- परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्‍यवान व सावित्री की कथा सुनें. 
- अब 12 कच्‍चे धागे वाली एक माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें. 
- अब 6 बार माला को वृक्ष से बदलें और अंत में एक माला वृक्ष को चढ़ाएं और एक अपने गले में पहन लें. 
- पूजा खत्‍म होने के बाद घर आकर पति को बांस का पंख झलें और उन्‍हें पानी पिलाएं.
- अब 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत तोड़ें. 
वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयती भी मनाई जाती है.
 

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