Varaha Jayanti: आज का दिन भारतीय परंपरा के अनुसार, बेहद खास और शुभ माना गया है. माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था. वराह अवतार श्री हरि का यानी विष्णु जी का तीसरा अवतार है. यह पर्व दक्षिण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है. इस दिन भक्त श्री हरि के वराह अवतार की पूजा-अर्चना कर, सुख शांति की कामना करते हैं. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) ने वराह जयंती (Varaha Jayanti) पर समस्त प्रदेशवासियों को कू (Koo) ऐप पर बधाई दी है.
CM योगी ने 'कू' ऐप पर दी बधाई
कू (Koo) ऐप पर वराह जयंती (Varaha Jayanti) की शुभकामनाएं देते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi Adityanath) ने लिखा 'धर्म की रक्षा एवं मानव कल्याण हेतु दैत्य हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी पर पुन: धर्म की स्थापना करने वाले प्रभु श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान श्री वराह जी की पावन जयंती की सभी प्रदेशवासियों व श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं'.
श्री विष्णु के तीसरे अवतार का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु ने कुल 24 अवतार लिए हैं. इससे पहले भगवान विष्णु ने मत्स्य और कश्यप का अवतार लिया था. इन अवतारों के बाद श्री हरि का ये तीसरा अवतार है, जिन्हें वराह (Varaha) नाम से जाना जाता है. वराह (Varaha) का अर्थ होता है शुकर. माना जाता है कि इस अवतार के माध्यम से ही मनुष्य के रूप में परमात्मा का पहला कदम धरती पर पड़ा था. कहा जाता है कि हिरण्याक्ष नामक दैत्य ने अपनी शक्ति से स्वर्ग पर कब्जा कर पूरी पृथ्वी को अपने अधीन कर लिया था. उसने संपूर्ण धरती पर अपना राज जमाकर हाहाकार मचा दिया था. संतों का अपमान किया. भगवान ने ये अवतार हिरण्याक्ष नामक एक दैत्य के वध के लिए लिया था.
Varaha Jayanti: श्री हरि विष्णु के तीसरे अवतार हैं भगवान वराह
भगवान वराह का मंत्र
नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूपतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा।।
भगवान वराह व धरती देवी की पूजा
हिंदू रिति रिवाजों में भगवान वराह (Varaha) की पूजा के साथ ही धरती माता की पूजा की भी परंपरा है. इस दिन सुबह श्री विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है. अगर आपके पास भगवान वराह (Varaha) की प्रतिमा या तस्वीर ना हो तो मन उनका ध्यान कर के भी इस पूजा को किया जा सकता है. भगवान वराह (Varaha) के नाम से जल चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं, धूप-बत्ती दिखायें, मिष्टान-फलों का भोग लगायें. उनका पाठ व मंत्र करें. प्रभु की भक्ति करें. इसके बाद धरती देवी की पूजा करें.
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