फाइल फोटो
नयी दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने आज संकेत दिये कि वह ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में दस से 50 साल के उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की सदियों पुरानी परंपरा के मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा मसला है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि महिलाओं को संविधान के तहत अधिकार मिले हैं और अगर यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाता है तो वह इस मामले में विस्तृत आदेश देगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सोचते हैं कि इसे संविधान पीठ के पास भेजने की जरूरत है।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति सी नागप्पन और न्यायमूर्ति आर भानुमति भी शामिल थे। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए सात नवंबर की तारीख तय की।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि महिलाओं को संविधान के तहत अधिकार मिले हैं और अगर यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा जाता है तो वह इस मामले में विस्तृत आदेश देगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सोचते हैं कि इसे संविधान पीठ के पास भेजने की जरूरत है।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति सी नागप्पन और न्यायमूर्ति आर भानुमति भी शामिल थे। पीठ ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए सात नवंबर की तारीख तय की।
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